Wednesday 16 March 2016

// क्या ये "रैगिंग" जैसा ही नहीं है ?? ....//


आज मुझे मेरे कॉलेज में हुई बेहूदी रैगिंग याद हो आई .... ज़ख्म कुछ हरे हो गए ....

इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिए ३-४ दिन ही हुए थे - और प्रचलन अनुसार हमारी रैगिंग हो गई थी .... कुछ होनहार "संस्कारी" सीनियरों द्वारा ....

सीनियर थे ५-६ और हम १०-१२ .... और एक एक कर हमें निपटाया जा रहा था ....

मेरा नंबर आया और मुझ से पूछा गया - तेरा नाम - मैनें नाम बताया .. एक थप्पड़ पड़ा .. पूरा नाम बता बे .. मैं समझ ना पाया और पूरा नाम सरनेम सहित बताया .. दूसरा थप्पड़ पड़ा .. अपने बाप का नाम लेने में शर्म आती है - पूरा नाम बता .. मैं बात समझा और अपने नाम के बाद पिताजी के नाम के बाद सरनेम लगा बता दिया .. तीसरा थप्पड़ पड़ा .. बाप का क्या नाम ? .. मैंने पिताजी का नाम बताया .. चौथा थप्पड़ पड़ा .. बाप के नाम के आगे श्री कौन लगाएगा ? .. मैंने पिताजी का नाम श्री लगाकर बताया .. पांचवां थप्पड़ पड़ा .. श्री नहीं पिताश्री बोल .. फिर छठा पड़ा .. अपने बापों के सामने ये पिताश्री पिताश्री क्या लगा रखा है .. फिर सातवा आठवाँ भी पड़ा .... जिसमें शिक्षा दी गई कि पिताश्री का नाम लेते समय नज़रें झुकीं होनी चाहिए और आवाज़ में आदर टपकना चाहिए आदि .... और फिर कहीं जाकर उन "संस्कारी" सीनियरों से पीछा छूटा था ....

और अगला नंबर मेरे दोस्त का था - उससे उसकी माँ का नाम पूछा गया था - और ८-१० थप्पड़ उसे भी पड़े थे .... और फिर अगले से बहन का नाम पूछा गया था .. और उसे भी ......

आज मुझे ये सब इसलिए याद हो आया कि आज तो पूरे देश में वैसी ही रैगिंग जैसा माहौल हो गया है - क्योंकि आज भी तो "संस्कारियों" द्वारा बोला जा रहा है - "भारत माता की जय बोलो" - जैसा हम चाहें वैसा बोलो - जब हम चाहें तब बोलो - वो भी प्यार से - आदर से .. और "भारत की जय" नहीं चलेगा - "जय हिन्द" नहीं चलेगा .. और बोलोगे तो थप्पड़ खाओगे - और नहीं बोलोगे तो थप्पड़ खाओगे ....

मैं उस दिन व्यथित था - मजबूर था .. क्योंकि मुझे अपने लिए - अपने पिताजी माताजी - अपने परिवार - और अपने देश के लिए इंजीनियर बनने का लक्ष्य पूरा करना था .... क्योंकि मैं एक अच्छा बेटा था - एक अच्छा नागरिक था - एक अच्छा देशवासी था ....

पर आज मैं उद्वेलित हूँ - क्योंकि मेरे दिल में आज भी अपने देश के लिए कुछ अच्छा सोचने और करने का जज़्बा बरकरार है .... और इसलिए मैंने अपने दिमाग की बात दिल से आपके समक्ष रख दी है ....

निर्णय आप करें कि .. क्या रैगिंग उचित है ?? .. क्या देश का माहौल "रैगिंग" लेने जैसा ही नहीं है ?? .. क्या देश का ऐसा ही माहौल उचित है ?? .. क्या "संस्कारियों" के "संस्कारों" और उद्देश्यों को समझने परखने की जरूरत नहीं है ?? .. क्या इन सब बातों से लक्ष्यों की पूर्ती हो जाएगी ?? .. क्या ऐसे ही अब "सबका साथ" हासिल किया जाएगा - और सबका विकास हो जाएगा ?? .. क्या वारिस पठान का महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबन उचित है ?? .. क्या ओवैसी को भी संसद से निष्कासित किया जाना चाहिए ??

यदि हाँ !! तो आइये सब मिलकर बोल देते हैं .... "भारत माता की जय" .... और आशा करें कि संविधान में कुछ "संस्कारी" संशोधन भी हो जाएं - जैसे "भारत माता की जय" बोलना अनिवार्य हो ....

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