Sunday 6 March 2016

// आखिर स्मृति खेर मोदी और "कन्हैया" में क्या फर्क है ....//


आज दो प्रमुख भाषण हुए ....

पहला भाषण था नरेंद्र मोदी का महिला सशक्तिकरण पर .... बड़े तामझाम के साथ संसद भवन के सेंट्रल हॉल में - एक विशेष कर्यक्रम में .... भाषण हुआ - टीवी पर लाइव प्रसारण हुआ - और बस हो गया - यानि उसके बाद कुछ न हुआ - होना भी नहीं था - क्योंकि भाषण में बखान जैसा कुछ था भी नहीं - शायद जसोदाबेन को भी कुछ अधिक भाया ना होगा ....

और दूसरा भाषण था अनुपम खेर का - असहिष्णुता पर ....  कलकत्ता के एक अखबार द टेलीग्राफ के मंच से - बड़े तमतमाये से हंसी-ठट्ठे के माहौल में - यानि खेर तमतमाये थे जैसे कि स्मृति संसद में - और बैठी पब्लिक हंसती हुई .... और वो भाषण हुआ - और सोशल मीडिया पर वायरल हो अभी तक चल रहा है .... और उस भाषण में मोदी का सुपर-डुपर बखान है .... यानि ऐसा बखान कि स्मृति भी याद हो आई - यानि वही हाव भाव और भद्दी अदा .... और बैठी जनता हंसी ठट्ठे के लिए मजबूर ....

यानि आज सिद्ध हो गया कि अब इस देश में मोदी की कोई हैसियत नहीं बची - उनका भाषण कोई नहीं सुन रहा - उनकी वो चमक और खनक कुंद पड़ गयी .... और उस रिक्त स्थान को भर दिया है स्मृति और खेर के नाटकीय भाषणों ने - जो त्वरित वाइरल हो स्वतः क्षीण हो जाते हैं ....

पर कुल मिलकर देश में ऐसा माहौल बहुत अच्छा बना है - और ये माहौल देश के हित में है .... क्योंकि अब लोग सुनकर ये जान पाएंगे कि आखिर स्मृति खेर मोदी और "कन्हैया" में क्या फर्क है - और कितना फर्क है .... नहीं तो अब तक ना जाने कितने "कन्हैया" अपनी काबलियत का प्रदर्शन करने से वंचित होते हुए इस देश के "ऐरे-गैरे-नत्थू-खैरों" के कारण अनसुने रह गए होंगे ....

इसलिए - छी टीवी स्मृति खेर और मोदी सहित अनन्य भक्तों को धन्यवाद .... बेहतर होगा वो अपना भोंडा प्रदर्शन इसी तरह जारी रखें ताकि हम हमारे यशस्वी "कन्हैय्याओं" को और गंभीरता से सुनने के लिए प्रेरित हों और उसके महत्त्व को भी समझ सकें .... और समझ सकें की देशद्रोही कौन होते हैं - देशभक्त कौन - मूरख कौन और जोकर कौन ....

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