इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कल अभूतपूर्व स्वागत कर आज सलामी वलामी भी दे दी गई है.. और बताया गया है कि अब बातचीत के दौर भी शुरू होंगे.. और..
मोदी और नेतन्याहू के बीच "आतंकवाद" पर भी बात होगी..
और मैं सोच रहा हूँ कि क्या "विश्व शान्ति" पर भी बात नहीं होगी ??..
और मुझे तो अब इस बात पर भी सोचना पड़ता है कि.. जब नेतन्याहू जैसे लड़ाकू राष्ट्र के काबिल नेता और अन्य नेता राजघाट में बापू की समाधि पर ले जाए जाते हैं.. और जब ले जाए गए मेहमान मत्था टेकते हैं.. तो बापू क्या सोचते होंगे ??..
कहीं अपना माथा ठोंक ये तो नहीं सोचने लगे होंगे कि बुरा मत देखो बुरा मत सुनो और बुरा बोलो भी मत.. पर यदि कोई बदमाशी करे तो कान के नीचे दो मिलाके एक लाफा और जमीन पर पटक-पटक उसके काम लगा दो..
अब आखिर बापू भी क्या करे.. सुना है सोहबत का असर तो होता ही है.. और शांति अहिंसा की बातें अब कोई नहीं करता.. और तो और अब तो गाँधी की बात कोई नहीं करता.. बल्कि अब तो गोडसे की बातें होने लगी हैं.. मार काट लड़ाई युद्ध की ही बातें तो होने लगी हैं..
और अब समस्या केवल आतंकवाद की ही थोड़े रह गई है.. असल समस्या तो अब आतंकवाद की जड़ धार्मिक उन्माद और अलगाव की हो गई है.. और हर छोटे बड़े नेता की हिटलरी अब विकट समस्या हो गई है..
यानि मूल समस्या अब ये हो गई है कि बापू की समाधि पर मत्था टेकने और टिकवाने वाले हिटलरी हो चुके हैं..
!! हे राम !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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