Monday, 7 March 2016

// जेटली जी .. असल में तो जनता जीत गई है और आप हार गए हैं ..समझे !! ..//


'जेएनयू' विवाद पर 'कन्हैया' पर कटाक्ष करते जेटली जी ने कह दिया ....
" हम जीत गए हैं - जो देश तोड़ने के नारे लगा रहे थे, जब जेल से बाहर आए हैं तो जय हिन्द और देश के झंडे के साथ नारे लगा रहे हैं " ....

मेरी प्रतिक्रियाएं ....

बैलगाड़ी के नीचे चलते कुत्ते को जिस प्रकार गुमान हो जाता है कि बैलगाड़ी वो ही खींच रहा है - ऐसे ही कुछ निहायत भ्रष्ट निकम्मे फ़ड़तूस लोगों को गुमान हो जाता है कि इस महान परम्परओां के महान देश में जो भी तिरंगा लहराते जय हिन्द का नारा लगा रहा है उसका श्रेय उसी घटिया इंसान को ही है ....

मुझे ऐसा भी लगता है कि पिछले दिनों में असल में तो इस देश की जनता ने भी कई बड़ी जीतें हासिल की हैं .... 

और जीत का कारण है कि जिनके दिल दिमाग में अति हिन्दू और केवल हिन्दू और शुद्ध हिन्दू जैसे ख्यालात ही उगते रहते थे और जुबां पर हमेशा हिन्दू शब्द ही आता था - आज बेचारे हिन्दू शब्द का पृथक उच्चारण तक नहीं कर पाते हैं - यानि जब भी बोलते हैं बेचारे "हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई" एक सांस में बोलने के लिए मजबूर होते हैं .... और ऐसा ही हश्र 'मुस्लिम' का जाप करने वालों का भी हुआ है .... 

मेरा इशारा ऐसे कई नेताओं की तरफ है जो धर्म और जाति विशेष की ठप्पे वाली राजनीतिक पार्टियों से सम्बद्ध हो अपनी राजनीति करते आए हैं .... मसलन मोदी जी .. जो लाख सांप्रदायिक ख्यालात के होते हुए भी प्रधानमंत्री बनने के बाद हमेशा मजबूरी में सेक्युलर-सेक्युलर बोलते दिखते हैं - सबका साथ लेने की बात कहते दिखते हैं .... और कहते हैं कि देश का विकास तब ही होगा जब हर जाति समुदाय का विकास होगा .... जो रोहित वेमुला के लिए बोलते हैं कि देश ने एक लाल खोया है ....  

और मैं इन वक्तव्यों का श्रेय इस देश की अधिकाँश धर्मनिरपेक्ष जनता को देता हूँ - जो "लव-जिहाद" "घर-वापसी" "गौमांस" "असहिष्णुता" और "देशविरोधी नारों की साज़िश" को नकारते हुए सत्य और समझदारी के मार्ग पर आगे बढ़ रही है ....

देश की जनता को अब समझ पड़ गई है कि 'देशभक्त' वो नहीं जो केवल झंडे को लहरा देशभक्ति के नारे लगा देशभक्त होने की डींग मारता है .. देशभक्त तो वो है जो साम्प्रदायिकता से नफरत करता है .. जो भ्रष्टाचारियों से नफरत करता है .. जो पूरे देश की भलाई के बारे में ही सोचता है .. जिसे इस देश के उद्योगपतियों से ज्यादा उद्योगों की चिंता है .. जिसे बड़े आदमी के छोटे घोटाले भी उतने ही अखरते हैं जितने छोटे आदमियों के बड़े घोटाले .. जो ओछी राजनीति और गोरख धंधा नहीं करता है .. और जो लाखों रुपये के खेल संगठनों पर करोड़ों के डाके डालने का घिनौना कृत्य नहीं करता है ....

इसलिए जेटली जी को सूचित करना चाहूँगा कि - श्रीमान ! असल में तो जनता जीत गई है - और आप हार गए हैं .... समझे !!
और अब लोग "कन्हैया" को सुन रहे हैं - समझ भी रहे हैं .... सावधान !!

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3 comments:

  1. सटीक निर्वाक और समयोचित आलेख.

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  2. सर जी आप जब भी लिखते हो दिल खुश हो जाता हे में आप के सभी लेख बहुत दिलचस्पी से पढता हूँ मेरी यही दुआ हे के हमेशा आप सच्चाई कसाथ देते रहेंगे

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  3. जेट्ली स्वयं ही एक हारा हुआ प्यादा है, उससे ऐसी ही उमीद की जा सकती थी.

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