Monday 19 December 2016

/.. एक अजीब गरीब था .. यानि पक्का 'अजीबोगरीब' .. रहता राजसी ठाठ-बाठ के साथ था .. फिर एक दिन उसका ईमान गड़बड़ाया .. उसने गरीबों का रोकड़ धर दबाया .. सबको कैशलेस बनाया .. सबको भाइयों बहनों मितरों बुलाया .. खुद को फ़क़ीर बताया .. .. फिर गरीबों को कुछ समझ आया .. सबने उसे चौराहे पर निपटाने का मन बनाया .. .. कल एक चौराहे पर झोला टाँगे सफ़ेद दाढ़ी में एक फ़कीर दिखा .. मैं उत्साहित हुआ .. उसे दूर से बुलाया .. वो पास आया तो मैनें पूछा तेरा नाम क्या .. वो बोला "फ़कीरा" .. मैंने कहा धत्त तेरे की !! .. .. मैं हतोत्साहित हुआ .. पर यकीन मानें यदि वो वाला फेंकू झोला टाँगे किसी भी चौराहे पर मिल गया ना तो .. .. .. पर आपसे निवेदन .. मैनें गलती की आप मत कीजियेगा .. हर फ़क़ीर को शक़ की निगाह से मत देखियेगा .. और हर फेंकू को फ़कीर मान इज़्ज़त मत बख्श दीजियेगा .. समझ गए ना !! ..../.... मेरे दिमाग की बातें - दिल से .. ब्रह्म प्रकाश दुआ


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