Saturday 15 December 2018

// मी लार्ड !! आप तो कन्नी काट लिए.. अब आगे न्यायिक प्रक्रिया के विकल्प क्या ??..//


मेरे दिल दिमाग में हमारे न्यायाधीशों के प्रति एक विशेष इज़्ज़त का स्थान रहा - जो बीते वर्षों में और बढ़ता गया जब न्यायालय ने कार्यपालिका के क्षेत्र में उचित आवश्यक दखलंदाज़ी करी और जनहित में कुछ प्रकरणों में विवेचना उपरांत निर्णय दिए.. इनमें से कई मुद्दे तो दीपावली के पटाखों या पर्यावरण या ताजमहल के क्षरण या आधार कार्ड या निजता या किसी विशेष मंदिर या दरगाह में प्रवेश या किसी धर्म विशेष की परम्पराओं या आस्थाओं या व्यवस्थाओं या मान्यताओं आदि जैसे विविध मुद्दों से संबंधित थे..

और मेरी जानकारी अनुसार सभी प्रकरणों में न्यायालय में इस बात पर भी तमाम दलीलों के साथ जिरह हुई थी कि क्या न्यायालय को इन प्रकरणों में दखलंदाज़ी का अधिकार है भी या नहीं ??.. और न्यायालय ने स्वाभाविक रूप से ये मानकर ही कि उसे अधिकार है - निर्णय दिए होंगे !!..

पर राफेल के मामले में मुझे लगता है कि न्यायालय द्वारा ये बोलकर कि चूंकि मामला 'देश की सुरक्षा' से जुड़ा है इसलिए इस मामले में वो सरकार के विरुद्ध उठ रही किसी भी शंका आक्षेप आरोप पर मामले में दखलंदाज़ी नहीं करना चाहता या कर सकता है - मुझे चौंका दिया है..
और मैं सोचने पर मजबूर हूँ कि जब न्यायालय किसी मामले में न्याय करने से कन्नी काट ले तो फिर आगे क्या ??..

और मैं यह भी सोचकर परेशान हूँ कि जब न्यायालय किसी प्रकरण के 'देश की सुरक्षा' से जुड़े होने के कारण न्याय देने से कन्नी काट ले.. तो क्या 'देश की सुरक्षा' को दुश्मनों चोर उचक्कों भ्रष्टाचारियों अपराधियों देशद्रोहियों और स्वार्थी तत्वों के हवाले छोड़ दिया जाना मजबूरी होगा ??..

और यदि ऐसी मजबूरी नहीं तो आगे क्या ??..

और इस संबंध में एक और बात गौरतलब है कि.. अधिकाँश प्रकरणों में कोई भी न्यायालय अपना निर्णय देते हुए यह भी प्रतिपादित करता है कि उसके निर्णय से असहमत कोई भी पक्ष आगे किस प्रकार से अपील कर सकता है - और अधिकांशतः तो इसके लिए अवधि भी निर्धारित कर दी जाती है.. मसलन किसी आरोपी की बेल निरस्त करते हुए वो सामान्यतः ऊपरी न्यायालय में अपील करने हेतु प्रावधान भी निर्णीत कर देता है..

पर राफेल प्रकरण में न्यायालय ने ये तो बता दिया कि वो कुछ नहीं कर सकता - पर आगे क्या किया जा सकता है इस पर शायद पूर्ण मौन ही साध लिया गया.. बिल्कुल प्रधानमंत्री जैसा मौन !!..

और इसलिए मेरा भी 'मी लार्ड' से प्रश्न..
'मी लार्ड' !!.. राफेल मामले में आगे न्यायिक प्रक्रिया के विकल्प क्या ??..

और मेरे जैसे आम नागरिक के लिए जो अपने देश से प्यार ही नहीं करता बल्कि अपने देश की फ़िक्र भी करता रहता है - वो राफेल मामले में आगे देशहित में क्या करे क्या ना करे - या किस बात की प्रतीक्षा करे - या क्या आशा रखे ??..

या फिर क्या मैं भी सड़कों पर उतर कर चिल्लाऊं..
" ये चौकीदार की चोरी है - जेपीसी जरूरी है " !!.. ..

निर्णय 'मी लार्ड' आप पर छोड़ता हूँ !!..
वैसे किसी मित्र के पास कोई उचित विकल्प हो तो बताकर अनुग्रहित करे.. और यदि किसी भक्त के पास कोई अन्य बकवास हो तो वो ना बताकर अनुग्रहित करे !!..

धन्यवाद !!.. इंकलाब ज़िंदाबाद !!.. जय हिन्द !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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