Friday 7 December 2018

// 'भानुमति के कुनबे' वाला गप्पू - पप्पू के 'कुनबे' पर इतना हलाकान क्यों हुआ रे ??.. //


और आज अंततः ५ राज्यों के प्रतिष्ठा के चुनाव निपट जाएंगे.. या सही मायने में कहूँ तो 'अप्रतिष्ठा' के चुनाव निपट जाएंगे !!..
और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जो तथाकथित महारथी चुनाव मैदान में थे उनकी प्रतिष्ठा तो पहले से ही बची नहीं थी - और इस चुनाव में उनकी अप्रतिष्ठा के ही और खुलकर सामने आने और घटने बढ़ने के आसार थे..

और हुआ भी ऐसा ही.. इन चुनावों में हमारे गप्पू जी की अप्रतिष्ठा बहुत उचक गई - और हमारे पप्पू जी की अप्रतिष्ठा थोड़ी कम हुई..

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इस चुनाव में एक बार फिर राज्यों से संबंधित मूल मुद्दे अलग हटा दिए गए और चुनाव को केंद्रित कर दिया गया 'गप्पू' और 'पप्पू' के बीच.. पप्पू के कुनबे और गप्पू चौकीदार की चोरी के बीच..

और पप्पू ने इस बार गप्पू को अच्छा धोया और इतना तो धो ही दिया जिसका अनुमान शायद किसी को नहीं था..
और जैसा कि अनुमान था अपने गप्पू जी पप्पू के 'कुनबे' को ही कोसते रहे.. और ये बताने के बजाय कि उनके कुनबे ने क्या किया वो ज्यादातर दूसरों के कुनबों की आलोचना करते रहे..

और शायद जाने अनजाने - स्वतः या चक्रव्यूह में फंसे - या अपनी प्रकृति एवं विकृति अनुरूप - गप्पू जी बस यही गलती कर गए.. 'कुनबों' की बातों में ही उलझ कर रह गए..

क्योंकि ये तो सत्य है कि "कांग्रेस एक कुनबा है" - और सत्य ये भी है कि ये एक खालिस और प्रतिष्ठित कुनबा है - और इसकी शुरुआत मोतीलाल नेहरू या फिर जवाहर लाल नेहरू से होती है जिन्होंने इस देश के लिए जब शानदार कामों की शुरुआत की थी - तब ना तो गप्पू और ना ही पप्पू पैदा हुए थे..

पर ये जो गप्पू है ना - अव्वल तो इसका कोई कुनबा ही नहीं है.. और यदि है तो उसे 'भानुमति का कुनबा' कहा जा सकता है.. क्योंकि इधर उधर से दो चार संघियों के नाम लेते तो हैं पर वो भी प्रतिष्ठा की कसौटी पर सही नहीं उतर पाते.. और ये उनका कोई योगदान भी प्रस्थापित सिद्ध नहीं कर पाते - उलटे जब उनके कारनामों का ज़िक्र भी होने लगता है तो ये अपनी और अपनों की बगले झाँकने लगते हैं..

और इसलिए मुझे लगता है कि इस बार गप्पू जी समझदारों के उस सिद्धांत से भी पटखनी खा गए जो कहता है कि तुम उस विधा या विषय की बहस या प्रतिस्पर्धा में कदापि ना उलझो या उतरो जिसमें तुम बहुत कमज़ोर हो..

और इसलिए अंततः चुनाव के निपटने के साथ ही मेरा प्रश्न भक्तों के लिए.. ..

ये 'भानुमति के कुनबे' वाला गप्पू फुदक उचक पप्पू के 'कुनबे' पर इतना हलाकान क्यों हुआ रे ??..
और जब केंद्र और राज्यों में गप्पू के भानुमति के कुनबे वालों की ही सरकारें थीं.. तो राज्यों के नेतृत्व पर और सामयिक मुद्दों पर और केंद्र पर अपनी उपलब्धियों पर फुदका उचका क्यों नहीं ??.. जबकि फ़ोकट हवा में फुदकना और उचकना तो गप्पू की फितरत में है !!..

और भक्त कुछ कहें इसके पहले एक जवाब मैं ही दे देता हूँ.. गप्पू अबकी बार हवा में उचका फुदका इसलिए नहीं क्योंकि हवा बहुत खराब थी.. हा !! हा !! हा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

No comments:

Post a Comment