Tuesday 25 December 2018

// संकट मोचक के धर्म और जाति से क्या फर्क पड़ता है.. उनके कर्मों पर ध्यान दो.. ..//


हमें बचपन से ही समझाया गया कि जीवन में कर्मों का कितना विशेष महत्व है और व्यक्ति अच्छा या बुरा अपने कर्मों से ही तो बनता है.. इसलिए धर्म और जाति से कुछ नहीं होता.. आदि !!..

पर जैसे जैसे बड़े हुए इस राम के देश में ये समझ आया कि धर्म और जाति का भी अपना ही विशेष महत्व है - क्योंकि ये वोट और सत्ता हथियाने के काम आते हैं - और यहाँ कर्म गौण हो जाते हैं..

और इसलिए आजकल हमारे समाज और देश में धर्म और जाति का महत्त्व स्वाभाविक रूप से बहुत बढ़ गया है.. और इसलिए आजकल लोग तो श्रद्धेय आराध्य भगवान् हनुमान जी के धर्म और जाति के बारे में एक बहुत ही सार्थक बहस कर रहे हैं.. और हर कोई उन्हें अपनी जाति या धर्म से जोड़कर उन्हें सम्मान देने और अपना उल्लू सीधा करने में लगा है..

पर ऐसा करते हुए हनुमान जी के कर्मों पर तो कोई ध्यान ही नहीं दे रहा.. जबकि कर्मों का भी तो अपना महत्त्व होना ही चाहिए..
तो आइए मैं आपका ध्यान कुछ ऐतिहासिक कर्मों की तरफ आकर्षित करना चाहूंगा.. कृपया गौर फरमाएं कि..

जिनने खुद अपनी शादी नहीं की हो - वो दूसरे की बीवी की रक्षा के लिए - तीसरे अपराधी का घर फूंक आए.. क्या कभी ऐसा निष्कपट निःस्वार्थ बहादुर शक्तिशाली संकट-मोचक महान व्यक्तित्व कोई और देखा सुना है ??..

और इसलिए कहता हूँ कि..
किसी भी संकट मोचक के धर्म और जाति से क्या फर्क पड़ता है.. उनके कर्मों पर ध्यान दो !!.. और उनके कर्मों के परिणामों पर ध्यान दो !!..

और हनुमान जी के कर्मों के गौरवान्वित परिणामों पर ध्यान दो कि.. उन्होंने अपने प्रभु राम की धर्मपत्नी अपनी माँ तुल्य सीता मैय्या को राक्षसी रावण के चंगुल से सकुशल छुड़वाने के प्रयास में संकट मोचक बनते हुए पूरी लंका दहन कर इतिहास रच डाला !!.. फिर हनुमान जी कौन सी धर्म जाति के थे - क्या फर्क पड़ता है.. वे तो अपने प्रभु राम के थे.. है ना !!..

संकट मोचक पवनसुत हनुमान जी की जय !!.. जय श्री राम !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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