Friday 28 December 2018

// सत्तापक्ष मोदी विकल्प विहीन.. बस है तो एक 'तोड़' संबित या एक 'जुगाड़' स्मृति !!..//


मौसम ठंडा हो चला है.. और माहौल ठंडा-ठंडा सा लग भी रहा है.. ..
एक ओर ईश्वर की खुशनुमा मज़ेदार शीत-शरद देन.. और दूसरी ओर निरंतर चकर-पकर करने वाले भक्तों की मजबूरी की वजह से एक चुप्पी मौन स्तब्धता घबराहट उदासी उबासी का सा ठंडा-ठंडा माहौल..

और वो इसलिए क्योंकि कल तक जो उचक लचक कर विपक्ष को मोदी के विकल्प का नाम बताने की चुनौती दे रहे थे - उन्हें जवाब मिलने लगा है.. और जवाब इतना गर्म है कि भक्त बौखला तो रहे हैं पर बावजूद ठंडे-ठंडे लग रहे हैं - मानों सर्द मौसम में चौराहे पर किसी ने जलते उलाव के पास नंगा कर छोड़ दिया हो..

और भाइयों और बहनों और मित्रों !!.. मोदी के विकल्प का पहला जवाब विपक्ष की बजाय सत्तापक्ष से ही आया है.. और वो नाम है गडकरी - जो कर रहा है भक्तों की किरकिरी..

और किरकिरी इसलिए क्योंकि गडकरी का नाम सामने आते ही देश का हर समझदार समझने लगा है कि प्रधानमंत्री पद के लिए अब मोदी के नाम का तो सवाल ही नहीं उठता.. इसलिए मोदी का विकल्प तो अब अपरिहार्य हो गया है..

और मेरा दावा है कि अभी तो पहला नाम सामने आया है गडकरी - कल कोई सुषमा का नाम भी लेगा पर अनमने मन से - फिर अरुण जेटली का भी नाम आएगा जो आते ही कूड़ेदान में फिका जाएगा - और फिर नाम आएगा अमित शाह का जो धिक्कार दिया जाएगा !!.. और फिर योगी का नाम भी उछाला जाएगा जो उछलते ही धड़ाम से गिर भी जाएगा !!..

तो क्या फिर सुरेश प्रभु अनुपम खेर या रामदेव या आडवाणी या फिर राजनाथ को प्रधानमंत्री पद का दावेदार पेश किया जाएगा ??.. हा !! हा !! हा !! .. नहीं ना !!

यानि मेरे अनुभव की बातों का निचोड़ ये निकला कि प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी अब कोई विकल्प नहीं - और सत्तापक्ष के पास मोदी का कोई विकल्प नहीं !!..
पर क्या कोई तोड़ भी नहीं ????..

और मेरे हिसाब से मोदी का विकल्प कोई हो या ना हो - मोदी का एक 'तोड़' तो जरूर है.. और वो है संबित पात्रा उर्फ़ संदीप पात्रा !!.. क्योंकि तोड़ने मरोड़ने में इस नगीने का कोई सानी नहीं है - और ये ठीकठाक झूठ भी बोल लेता है - जोरदार आवाज में बोल लेता है - और लंबी-लंबी भी छोड़ लेता है.. और शायद मोदी से अधिक पॉपुलर भी है.. और यकीनन मोदी और मोदी भक्तों के लिए हमेशा से संकट मोचक भी रहा है.. और ये हिन्दू भी है.. और ये हिन्दू-हिंदुत्व के घालमेल में भी निपुण है..

परन्तु एक ओर विकल्प के आभाव में और दूसरी ओर 'तोड़' के स्वयं ना करने पर या मोदी-शाह द्वारा स्वार्थवश अस्वीकार्य कर देने पर - एक 'जुगाड़' भी हो सकती है.. स्मृति ईरानी !!.. क्योंकि इनमें भी मोदी जैसे कई लक्षण पाए जाते हैं..

अब मर्ज़ी भक्तों की !!.. 'तोड़' पसंद कर लो या 'जुगाड़' से काम चलाना.. समझे !!..

और जहां तक मोदी के बाद अगले प्रधानमंत्री का प्रश्न है तो - शीत लहर के बाद ग्रीष्म ऋतु आएगी - ठंडा पड़ा माहौल गर्माएगा - और २०१९ के चुनावों के बाद विपक्ष के बीच में से ही एक प्रधानमंत्री सबके सामने होगा.. शर्तिया !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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