Monday 24 December 2018

// हाय मेरी जान !!.. साहेब को अब 'जान का खतरा' है - या 'जाने का खतरा' ??..//


पिछले सालों में शायद जितनी बार भी ये बोला गया होगा कि कन्हैया कुमार देशद्रोही है उतनी ही बार यह भी बोला गया है कि - साहेब की जान को खतरा है !!..

अब ये दोनों बातें मैं साथ-साथ इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि ये ठीक वैसी ही बातें हैं जिनके बारे में आपको बता दूँ - कि ये बातें हैं बातों का क्या ??..

और ये बातें अब इतनी घिस पिट गई हैं कि इन बातों पर अब कोई विशेष बात नहीं होती.. और बुद्धिजीवी लोग इसे सुनते भी नहीं हैं - और समझदार इसे जिस कान से सुनते हैं उसी कान से निकाल देते हैं - और भक्त जिस कान से सुनते हैं दूसरे कान से निकालने लगे हैं..

पर अभी कुछ दिन पहले एक कोई नसीरुद्दीन शाह नाम के ख्याति प्राप्त संजीदा व्यक्ति ने बैठे-ठाले या खड़े-नाले कुछ ऐसे-ऐसे विचार व्यक्त कर मारे कि - अब इस देश में इंसान की जान की कीमत गाय की जान से भी गई गुजरी हो गई है - और उन्हें डर लगता है - उन्हें भी खतरा महसूस होता है..

अब क्योंकि ये व्यक्ति तो अक्ल से भी और शक्ल से भी संजीदा व्यक्ति लग पड़ता है - और क्योंकि शायद इस व्यक्ति की हस्ती साहेब से ज्यादा होगी या फिर साहेब की हस्ती इस व्यक्ति की हस्ती के मुक़ाबले गिर गई होगी - इसलिए इस बात में लोगों को काफी कुछ दम लगा होगा.. और शायद इसलिए ही लोग इस पर बहुत बातें करने लगे हैं..

और बातों बातों में कुछ असहिष्णु बेवकूफों ने तो यहाँ तक कह मारा है कि यदि नसीरुद्दीन शाह को यहाँ डर लगता है और उनकी जान को खतरा है तो वो पाकिस्तान चले जाएं.. और कुछ परोपकारी टाइप बेवकूफों ने तो उनके पाकिस्तान जाने की टिकिट देने की भी घोषणा कर मारी है.. मानो वे जैसे फटी-फटी में भक्तों को संडास के समय साहेब की आवश्यक अनुमति लेने जैसे अनुभव से ओतप्रोत हों - और उन्हें अपने अनुभवों से लगा होगा कि नसीरुद्दीन शाह भी पाकिस्तान तो तब ही जा पाएंगे जब उन्हें टिकिट सहित अनुमति प्राप्त होगी..

और मैं सोच रहा हूँ.. साहेब की जान को खतरा बताने वाले लोग ये भी बोलते रहते हैं कि इस देश में तो सबसे बड़ा खतरा हिन्दुओं को है.. और भक्त हैं कि बस "खतरा" सुनते ही इनके अंदर बैठा राष्ट्रप्रेम का कीड़ा इन्हें काटने लगता है और ये ऐसी ही बातों से आह्लादित और उकसित हो पूरे जोश-खरोश से इस कार्य में जुट जाते हैं कि अब वे ही ऐसे सभी खतरों का सामना या तो स्वयं करेंगे - या स्वयं सेवक संघ से करवाएंगे !!..

मसलन अब जब ५ राज्यों के चुनावों में साहेब की हालत और हालात और पतेली सब पतली हो चली हैं और अब उनके 'जाने का खतरा' भक्तों के खतरनाक चेहरों पर पढ़ा जा सकता है.. तब भक्त सोच रहे हैं कि गलती कहाँ हुई ??.. कहीं साहेब पाकिस्तान चले गए थे इसलिए तो नहीं ??..

या फिर क्योंकि नसीरुद्दीन शाह जैसे संजीदा लोग भी अब खुलकर बोलने लगे हैं - 'जाने का खतरा' इसलिए भी महसूस होने लगा हैं ??..

तो उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में मेरे भक्तु और भक्तों से सरल प्रश्न..

ये साहेब पाकिस्तान क्यों चले गए थे ??.. क्या सिद्धू जैसे किसी बुलावे पर गए थे ??.. या खुद ही चले गए थे ??.. या किसी ने भेजा था ??.. और यदि भेजा था तो क्या तब किसी फोकटी परोपकारी ने उन्हें कोई टिकिट भी भेजा था ??..
और.. .. 
हाय मेरी जान !!.. साहेब को अब 'जान का खतरा' है - या 'जाने का खतरा' ??.. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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