Monday 25 February 2019

// अपराधीकरण के खेल में केवल पाले बदले जाने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा.. ..//


बहुत दर्दनाक ह्रदय विदारक दिल दिमाग को झकझोर देने वाली घटना मध्यप्रदेश के सतना में घटित हुई है - २ मासूम जुड़वाँ बच्चों को पूरी आपराधिक दक्षता के बल पर अपहृत किया गया - और फिर वहशियाना क्रूरता और बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया..

और अब जबकि मध्यप्रदेश में १५ साल के भाजपा शासन के बाद कॉंग्रेस का शासन लौटा है - तो कॉंग्रेसी कड़ी जांच और सजा का आश्वासन दे रहे हैं - और इस बार भाजपाई इसे सरकार की विफलता बता आज प्रदेश बंद की तैयारी में खपे हुए हैं..
यानि जो मरते रहे वो आज भी मर रहे हैं.. पर कॉंग्रेसियों और भाजपाइयों के पाले बदल गए हैं..

और मैं ग़मगीन हो सोच रहा हूँ कि ये कुशल आपराधिक दक्षता प्राप्त कौन से और कैसे युवा होंगे ??..
और मेरी कल्पना अनुसार ये वो युवक होंगे जो बेरोज़गार होंगे.. किसी विधायक सांसद या नेता के पट्ठे होंगे.. पुलिस वालों के मुँह लगे होंगे.. दादागिरी गुंडागर्दी के मामलों में हस्तक्षेपी होंगे.. ये किसी राजनीतिक पार्टी या गुट से जुड़े होंगे.. ये झंडे डंडे सहित रैली प्रदर्शन आदि करने के मुख्य कार्यकर्ता या संयोजक होंगे.. ये शहर या प्रदेश या भारत बंद कराने के स्पेशलिस्ट होंगे.. ये अपने वाहनों पर तिरंगा लगा गुटखा मुहं में डाल भारत माता की जयकारे भी लगाते होंगे.. ये मंदिर मस्जिद निर्माण हेतु या फिर भंडारों हेतु या फिर यज्ञ हवन हेतु चंदा उगाही जैसा  पुण्य काम भी जरूर ही करते होंगे.. और शायद गोल टोपी या तिलक या पटका पहन दिन भर इधर उधर डोलते साँझ पड़े थके हारे दारू पीकर दंगा भी करते ही होंगे..

और इनकी कारगुजारियां बदस्तूर जारी हैं.. खेल वही है - खेल के नियम वही हैं - खेल का मैदान वही है - खेल के खिलाड़ी वही हैं - और तो और खेल के दर्शक और आयोजक भी वही हैं.. और ये एक ऐसा प्रायोजित खेल खेला जा रहा है जिसमें खिलाड़ी और दर्शक अपने जिस्म पैसे और समय की बर्बादी कर घाटे में हैं और केवल आयोजक फायदे में हैं..

तो फिर अब हुआ क्या ?? बदलाव क्या हुआ ??.. कुछ नहीं.. केवल खिलाड़ियों ने उसी मैदान पर अपने-अपने पाले बदले हैं..

और मेरा विश्वास कीजिए और अपनी अक्ल भी लगा लीजिए.. पाले बदलने से कुछ पल्ले पड़ने वाला नहीं.. कुछ भी खास फर्क पड़ने वाला नहीं है.. और मैने माना कि यदि और कुछ नहीं तो पाले तो बदलते ही रहिए - पर फर्क लाना है तो इस खेल के आयोजकों को धाराशाही कर खिलाड़ियों को ही बदलना होगा.. और इन अपराधी खिलाडियों को किसी दूसरे अच्छे खेल या कार्य में लगाना खपाना होगा..

अन्यथा 'निर्भया' के बाद भी इन निर्भय गुंडे बदमाशों के नए पुराने वाहियात खेल देखते रहिएगा.. और 'सतना' के बाद भी सत्ता के सताने के खेल देखते रह जाइएगा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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