Thursday 28 February 2019

// "देश नहीं मिटने दूंगा" .. बनाम .. ताजमहल नहीं बिकने दूंगा .. ..//


ये नीतिगत बात याद रखने योग्य है कि.. ..

जो स्वयं को देश से ऊपर समझने लगते हैं..
वो ही सदैव "मैं" "मुझे" "मेरा" कहते रहते हैं..
और देश के लिए हानिकारक होते हैं !!..

मसलन : जो कहता है "मैं देश नहीं मिटने दूंगा"..
वो या तो खुद को देश से भी बड़ा बतलाना चाहता है.. या अपने आपको सूरमा - जो पिद्दू होते हुए भी डींगे हांकने में महारथी है..
या फिर वो अपने देश को ही बिल्कुल कमज़ोर और कमतर बता खुद कुछ नहीं करते हुए भी देश को बचा ले जाने की वाहवाही लूटना चाहता है.. यानि सबकुछ हवा-हवाई !!.. 

जबकि वस्तुस्थिति ये है कि.. इस महान देश भारत के किसी भी स्वस्थ मस्तिष्क वाले नागरिक ने ना तो ये माना ना ये कहा ना ये महसूस किया ना ये ख्वाब में भी सोचा कि भारत मिटने वाला है.. और ना ही किसी ने इस पिद्दू सूरमा से गुहार लगाईं कि देश को बचा लो !!..

इसलिए जिस पिद्दू सूरमा ने ये जुमलेबाजी करी है केवल उसके मस्तिष्क के खलल को समझने की आवश्यकता है.. और अब तो डरने की आवश्यकता भी नहीं बची.. क्योंकि कुछ ही दिन बाद वोट मांगने के समय तो अब पलटीमार ये भी कहेगा कि "मुझे मिटने से बचा लो" - और उसका दंभ तो स्वतः ही चुनावों में मटियामेट होने वाला है !!..

और अंत में एक सच्ची घटना सुना दूँ.. एक बार मैं ताजमहल देखने गया था.. बाहर सड़क पर एक पागल चिल्ला रहा था.. ना तो मैं ये ताजमहल बिकने दूंगा ना ही किसी को इस ताजमहल का बाल बांका करने दूंगा !!.. और जब वो पागल ये बात कह रहा था तो लग रहा था बहुत संजीदगी से ही कह रहा था.. .. 

और याद रहे.. " मैं भले ही एक साधारण नागरिक हूँ पर मैं हमेशा बहैसियत कोशिश करता रहूंगा कि मेरे महान देश को कोई अपमानित नहीं कर सके - क्योंकि मेरे लिए देश सर्वोपरि है "..
जय हिन्द !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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