Saturday 16 February 2019

// पुलवामा पर बात बंद हो (??).. पर नाकारा सरकार को हटाने पर तो होती रहे ना !!..//


पुलवामा हमले के विरोध में पूरा देश गुस्से में है.. व्यथित है.. आक्रोशित है.. और बोलने लिखने और बयानबाज़ी के लिए उद्वेलित भी..

और गुस्से का इज़हार हर कोई अपने-अपने स्तर पर.. अपनी-अपनी औकात भावनाओं भाषा समझ मर्जी और सुविधा अनुसार.. अपनी-अपनी कर्त्तव्यपरायणता की इतिश्री हेतु.. अपने-अपने दिल दिमाग की भड़ास निकालने हेतु.. और अपनी-अपनी राजनीति करने हेतु.. कर रहा है..

और इस सबके बीच हर कोई कुछ ऐसा कह रहा है कि हर किसी का दिमाग चकरभिन्नी हुए जा रहा है.. मसलन कोई कह रहा है कि.. ..
ये संवेदनशील मुद्दा है इसलिए इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए - और देखो वो राजनीति कर रहा है - हम तो केवल सच बात कर रहे हैं.. हम सबको एकजुट रहना होगा.. उन्हें सबको साथ लेकर चलना होगा.. पाक के विरुद्ध युद्ध छेड़ देना चाहिए.. युद्ध कोई विकल्प नहीं.. नहीं अब तो युद्ध ही विकल्प.. नहीं बातचीत ही विकल्प.. बातचीत हो.. बातचीत की जो बात करे वो पाकिस्तान जाए.. बुलेट और बातचीत साथ-साथ नहीं.. नहीं इधर से बुलेट चलाओ उधर से बातचीत करते रहो.. नहीं अब तो बुलेट ही एकमात्र विकल्प.. पाकिस्तान भी ताकतवर.. अरे छोडो यार पाकिस्तान को २ दिन में ठिकाने लगा देंगे.. आदि !!..

और जो जोश में या जोश की बात करे वो अपने आपको भगतसिंह के बाद सबसे बड़ा और बहादुर सपूत मान रहा है.. और जो बीच की बात करे वो अपने आप को ही समझदार मान रहा है.. और जो अपने गिरेबान में भी झाँकने की बात करे उसे जोश में बात करने वाले देशद्रोही मान रहे हैं..

याने इस पुलवामा विषयक कुछ भी कहना या बात करना निरर्थक या निहायत मुश्किल सा हो गया है..

और वस्तुस्थिति अनुसार तो वैसे भी जो कुछ करना था करना है और करना होगा वो तो सेना के ही जिम्मे है.. क्योंकि भले ही देश के करोड़ों बेरोजगार जवानों का काम पकौड़े तलना हो - पर सेना के जवानों का काम कोई पकौड़े तलना तो है नहीं - उसका तो यही काम है.. है ना !!..

तो प्रश्न उठता है कि यदि चुपचाप रहने और अकर्मण्य हो जाने का पाप और बेवकूफी नहीं करना है तो फिर अभी किया क्या जाए ??..
और इस प्रश्न पर मेरा सुझाव.. ..

अब पुलवामा पर बात बंद हो.. और इस पर बंद ना हो सकने वाली बातें बंद हों या ना भी हों.. आइए !! .. बेरोजगारी - किसानों की बदहाली - महंगाई - देश की शिक्षा स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा - राफेल - सीबीआई - सीएजी - पर फिर से लौट आएं.. और इस निखट्टू नाकारा सरकार को ही चलता करने पर बात करें..

और ऐसा सुझाव मैं इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि वैसे भी..
पुलवामा जैसे अत्यधिक संवेदनशील मुद्दे के उचित यशपूर्ण विजयी परिणामों के लिए हमारी सशक्त सेना के अलावा एक समझदार अच्छी सरकार की भी दरकार है.. और ये काम सेना और सरकारों का ही होता है.. भक्तों भक्तू गप्पू पप्पू टप्पू चप्पू लप्पू झप्पू का नहीं.. और कड़ी निंदा या नथुने फुलाने या मौन रखने या फिर लफ़्फ़ाज़ी करने से तो कतई संभव नहीं.. समझे !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

No comments:

Post a Comment