सार्क सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व करने हमारे गृह मंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान पहुँचा दिए गए ....
और उनके वहां पहुँचते ही उनका विरोध हो गया .. उनके विरुद्ध नारे लग गए .. और विरोध का नेतृत्व होना पाया गया हिजबुल सरगना आतंकी सैय्यद सलाउद्दीन के द्वारा .. और भारत को कुछ स्पष्ट हुआ और तथ्यात्मक आरोप लगा दिया गया कि इस विरोध को पाकिस्तान की सरकार का भी समर्थन रहा ही होगा ....
पर सारे टुच्चे मिलकर भी हमारे साहसिक राजनाथ जी का बाल भी बांका करने की हिम्मत नहीं कर पाए .... और अंततः केवल चिल्लाचोट कर रुखसत हो लिए ....
और इसलिए भारत अपने किये पर संतुष्ट होता दिख रहा है .. क्योंकि भारत का ऐसा मानना भी सार्वजनिक हो रहा है कि ऐसी वारदातों से पाकिस्तान विश्व पटल पर और 'एक्सपोज़' हो रहा है ....
और शायद हमें बच्चों जैसे समझाया जा रहा है कि जैसे ही पाकिस्तान 'एक्सपोज़' होगा तो सारे भक्त मिलकर पाकिस्तान को धर दबोचेंगे - और इस तरह पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे दिया जाएगा ?? ....
पर इस बीच - मुझे पता चला कि बांग्लादेश ने अपने गृहमंत्री को पाकिस्तान नहीं भेजकर उसके एवज में जूनियर मंत्री को भेजा .... और नवाज शरीफ ने आज एक बयान जारी कर कहा है कि आज़ाद कश्मीर में ८ जुलाई से एक नए आंदोलन की शुरुआत हो गई है ....
और इसलिए मैं एक बार फिर बहुत भारी दिल से अपने दिमाग की बात कहने पर मजबूर हूँ कि - हद्द हो गई - बांग्लादेश तक हम से आगे निकल गया .... और मोदी सामान्य कूटनीति तक में दिव्यांग साबित हो गए और संयमित उपयुक्त वांछित निर्णय लेने में अक्षम साबित हो गए .... स्थितियां विकट हैं - और विकट ही नहीं दयनीय भी हैं - और शर्मनाक भी .... और वो इसलिए भी कि पाक-नापाक तो बहुत पहले से एक्सपोज़ हुआ पड़ा है - अब तो मोदी एक्सपोज़ हो रहे हैं - भारत एक्सपोज़ हो रहा है .. इसलिए ..
!!!! पुनः सावधान !!!!
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Kamal Pant
ReplyDelete5 hrs ·
लोकतंत्र कोई व्यक्ति नहीं है कि उसे छूरा घोंप दो और तुरंत मर जाए. उसे बरसों में धीरे-धीरे मारा जाता है. पांडिचेरी विश्वविद्यालय के छात्रों ने पत्रिका निकाली. पत्रिका का वितरण होने लगा. भाजपा के लोगों को लगा कि पत्रिका के कंटेंट में केंद्र सरकार की आलोचना की गई है. भाजपा ने विश्वविद्यालय के गेट पर विरोध प्रदर्शन किया, पत्रिका की प्रतियां जलाईं. विश्वविद्यालय ने पत्रिका का वितरण वापस ले लिया. जहां से पत्रिका निकाली जा रही थी, वह कमरा विश्वविद्यालय ने सील कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पत्रिका में दो लेख ऐसे हैं जिनमें केंद्र सरकार और स्मृति ईरानी की आलोचना की गई थी.
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केंद्र सरकार की आलोचना अब ईशनिंदा की श्रेणी में है. जेएनयू शुरुआत थी. कोई छात्र आपराधिक गतिविधि में लिप्त है, उस पर कार्रवाई एक बात है. लेकिन संस्थाओं के खिलाफ ट्रायल चलाना और उन्हें खत्म करना दूसरी बात है. सिर्फ दलितों और मुसलमानों पर हमले नहीं हो रहे हैं, हमले विचारों पर, संस्थाओं पर और लोकतांत्रिक मर्यादाओं पर भी हो रहे हैं. सरकार की आलोचना करने पर पत्रिका जब्त की जाए, ऐसा अंग्रेजों के समय होता था.
कृष्णकांत की वॉल से
BHAGAWANA RAM UPADHY @BrUPADHY 7h7 hours ago
ReplyDeletehttp://www.youtube.com/watch?v=7K_M4RURpjA&sns=tw … via @youtube
BHAGAWANA RAM UPADHY @BrUPADHY 7h7 hours ago
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BHAGAWANA RAM UPADHY @BrUPADHY 7h7 hours ago
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BHAGAWANA RAM UPADHY @BrUPADHY 7h7 hours ago
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BHAGAWANA RAM UPADHY @BrUPADHY 8h8 hours ago
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BHAGAWANA RAM UPADHY @BrUPADHY 9h9 hours ago
ReplyDeletehttp://www.youtube.com/watch?v=x896lgk_BEY&sns=tw … via @youtube