Saturday 20 August 2016

// धिक्कार है उन पर जो 'कलमाड़ी' को गालियां देते-देते खुद 'कलमाड़ी' बन बैठे ....//


मेरे एक ज्ञानी और काबिल परिचित ने कभी अपने पोस्ट में लिखा था कि ....
"जीवन में तीन लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिये ....
१ - मुसीबत में साथ देने वाले को.... 
२ - मुसीबत में साथ छोड़ने वाले को.... और ....
३ - मुसीबत में डालने वाले को...."

और मुझे उनकी ये बात लाख टके की लगी थी - क्योंकि मेरी फितरत भी कुछ ऐसी ही है .... और उपरोक्त बात एक बहुआयामी सोच रखने की ओर प्रेरित करती है .. यह मुझे सीख देती है कि किसी भी विषय में केवल एक तरफ़ा सोचना परखना उपयुक्त नहीं - जैसे कि मुसीबत में साथ देने वाले को धन्यवाद दे देना काफी नहीं बल्कि मुसीबत में डालने वाले की ऐसी की तैसी करना भी जरूरी है ....

बल्कि मेरी फ़ितरत तो कहती है कि सबसे पहले मुसीबत में डालने वाले की ऐसी की तैसी कर दी जाए - क्योंकि यदि वो मुसीबत में नहीं डालता तो मुसीबत में किसी के साथ देने लेने या साथ छोड़ने की नौबत भी कहाँ आती ?? ....
  
और ये बात मुझे आज फिर याद हो आई क्योंकि मैं ये देख रहा हूँ कि साक्षी और सिंधु के द्वारा ओलिंपिक में मैडल प्राप्त करने के उपरांत जो ढेर सारी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वे केवल मैडल आने की स्वाभाविक ख़ुशी से ही संबंधित हैं - और एकतरफा हैं .. और कोई भी उन तमाम मैडलों के बारे में सोच ही नहीं रहा है जो हमें अनेक टुच्चों भ्रष्टों लोफरों मक्कारों चोरों डकैतों बेशर्मों और उच्च पदस्थ स्वार्थियों के कारण कभी नहीं मिले .... मसलन नरसिंह यादव और अन्य असफलताओं के मामले में उपयुक्त सोच और वांछित प्रतिक्रिया दिखाई ही नहीं दे रही है .... और उन टुच्चे भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों के प्रति वो रोष भी दिखाई ही नहीं दे रहा जो खिलाडियों के हक़ के पैसों और सुविधाओं पर केवल मटरगश्ती करने में मशगूल रहे .... जो खेलों के नाम पर देश के साथ खेल कर गए .... जो कलमाड़ी को गालियां देते-देते खुद कलमाड़ी बन बैठे ....  

यानि माहौल कुछ ऐसा लग रहा है जैसे .. जो मिल गया - वाह !! .. पर जो-जो नहीं मिला - चलो जाने दो !! .... यानि आज सभी केवल अच्छों और अच्छाई के बारे में बोल रहे हैं पर कोई टुच्चों और टुच्चई के बारे में नहीं बोल रहा ....

और हद तो तब हो गई जब एक काबिल पत्रकार शोभा डे ने टुच्चई विरुद्ध आवाज़ उठाई भी तो - कई टुच्चे उनके ही विरोध में टुच्ची बातें करते निर्लज्जता से सामने आ गए .... जैसे कि अमिताभ बच्चन और वीरेंदर सहवाग ....

और इसलिए मैं आज फिर आगाह करना चाहूँगा कि केवल २ मैडल प्राप्ति की ख़ुशी मना ही यदि हम संतुष्ट हो गए - और यदि हमने इन २ टुच्चों का प्रतिकार तक नहीं किया - तो भविष्य में भी हम ऐसे ही १-२-४ मैडल ले बावरों जैसे खुश होते रह जाएंगे .... पर यदि हमने शोभा डे की बातों पर ससमय गौर कर लिया तो शायद भविष्य में तस्वीर बदले ....

यानि - यदि हमने 'मुसीबत में डालने वालों' की ऐसी की तैसी कर दी तो ही बेहतर .... यानि - वार जड़ पर करने की आवश्यकता है .... यानि - सरकारी भाजपाई कलमाड़ियों और कबाड़ियों को निपटाना भी अत्यावश्यक है .... !! धन्यवाद !!

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