आज लाल किले की प्राचीर से मोदी जी ने जोश-खरोश के साथ लम्म्म्म्बा भाषण दिया .. और भाषण सुन मुझे लगा कि या तो मोदी जी ने ध्यान ही नहीं दिया होगा कि लोग क्या चाहते थे कि वो क्या बोलें - और क्या करें .. या लोगों ने ध्यान ही नहीं दिया होगा कि मोदी को सुझाव देना बेवकूफी होगा .. क्योंकि मोदी को कुछ अपेक्षित करना नहीं होता है - और बस बोलना होता है .... और मोदी वही बोले जो उन्हें बोलना था ....
और मोदी जो भी लम्म्म्म्बा बोले उसका सार निकालना भी जरूरी है .. और सार कुछ यूँ रहा ....
अव्वल तो वो "बलूचिस्तान" पर बोले .. और जो बोले उपयुक्त बोले .... बधाई !!
पर इसके अलावा मोदी जी ने पुरानी सरकारों को खूब कोसते हुए - फिर मैं मैं मैं करते हुए - कुछ यूँ कहा ....
पुरानी सरकारें आक्षेपों से घिरी थी और मोदी सरकार अपेक्षाओं से घिरी है ....
और मेरी त्वरित सारगर्भित प्रतिक्रिया ....
पुरानी सरकारों पर आक्षेप सिद्ध नहीं हुए ....
और मोदी सरकार से अपेक्षाएं पूरी नहीं हुई हैं ....
बल्कि उलट ....
लगने लगा कि पुरानी सरकारों ने बहुतायत में अपेक्षाओं की पूर्ती करी थी ....
और अब मोदी सरकार और कई भाजपा शासित राज्य सरकारें आक्षेपों से लद रही हैं ....
और हमें शानदार लफ़्फ़ाज़ी युक्त भाषण सुनाए जा रहे हैं ....
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MARVELOUS AAPKO BADHAI-AAP EK BEBAK PATRAKAR AUR VISHLESHAK HAIN
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