कल ही सबने देखा था मोदी को ४३ साल पुराना आपातकाल का दुखड़ा अपने चिरपरिचित चिरकुट अंदाज़ में रोते हुए - और कांग्रेस की भूतपूर्व पीढ़ियों को कोसते हुए वर्तमान पीढ़ी को लपेटे में लेने की कोशिशें करते हुए..
और वो और उनके प्रवक्ता कह रहे थे कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है ताकि देश की आज की पीढ़ी को - जिसे गुजरे जमाने के इस काले पन्ने के बारे में कुछ पता ही नहीं है - उसे इन गंभीर बातों की आवश्यक जानकारी हो सके..
और आज सुर्ख़ियों में समाचार ये है कि.. गुजरात की कच्छ यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जो कमलगट्टों की ही एक पीढ़ी है उसके गुंडे छात्रों द्वारा उनके ही प्रोफेसर के मुंह पर कालिख पोत उनसे मारपीट कर उन्हें सरेआम सार्वजानिक स्थलों पर जबरन जुलूस के रूप में घुमाया गया.. और कारण भी क्या ?? बस इतना कि बेचारे प्रोफेसर उन सीनेट चुनाव के इंचार्ज थे जो महीने भर बाद होने हैं और जिसकी प्रक्रिया में कुछ अनियमितता के आरोप हैं..
जानते हैं इसका क्या मतलब निकला ??..
मतलब ये निकला कि जो कांग्रेस की पिछली पीढ़ी को आज कोस रहे हैं उनकी वर्तमान और भावी पीढ़ी टुच्ची हो बर्बाद हो चुकी है..
और बर्बादी इस कदर हो चुकी है कि जो उस ४३ साल पहले लगी इमरजेंसी में भी नहीं हुआ वो आज मोदी राज में हो गया और कानून सभ्यता संस्कारों की धज्ज्जिया उड़ाने की सारी सीमाएं बेख़ौफ़ बेहिचक बेलगाम लांघ दी गईं..
और इसलिए जो १९७५ के आपातकाल का रोना रोते हुए बेशर्मी बदतमीज़ी और गुंडागर्दी पर उतारू हैं - उनकी तो सभी पीढ़ियों के पर कतरना और सबक सिखाना आज की आवश्यकता हो चुकी है.. और सबसे पहले तो ये जो इनके वर्तमान पीढ़ी के शीर्षस्थ नेता मोदी हैं ना - इन्हें सत्ता के अर्श से उतार फर्श पर पटकने की तत्काल जरूरत आन पड़ी है..
और मोदी को अपदस्थ करने की आवश्यकता इसलिए भी तत्काल हो चली है क्योंकि ये भी वर्तमान पीढ़ी को दिशाभ्रमित करने और बर्बाद करने के दोषी हैं.. और गुंडों बदमाशों को घोषित / अघोषित प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष संरक्षण और प्रोत्साहन देने के भी दोषी हैं..
यानि देशहित में समझदारी भरा सारांश केवल ये है कि.. बीती पीढ़ी बिसार दे - वर्तमान और भावी टुच्ची पीढ़ी की सुध ले.. जय हिन्द !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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