Thursday 28 June 2018

// संत कबीर पर भी 'फेंकमफाँक' दुर्भाग्यपूर्ण .. ..//


" संत कबीर भीतर से कोमल बाहर से कठोर थे " !!..

अब ये मनगढंत अजब सी बात आज जिसने कही है वो भी बहुत ही कोमल और कठोर है..

गरीब जनता पर बाहर से दिखावटी कोमल - पर भीतर से हृदय विदारक भयानक कठोर..
और अमीर साथियों पर बाहर से खोखले कठोर - और भीतर से नतमस्तक कोमल..

और हाँ मेरे आंकलन अनुसार तो संत कबीर बहुत सरल और ज्ञानी थे.. और जैसे वो भीतर से रहे होंगे वैसे ही बाहर से भी थे.. क्योंकि सरल प्रकृति संतपुरषों की यही खासियत भी रही है..

ये अंदर और बाहर से अलग-अलग तो हमारे प्रधानसेवक जैसे शातिर नेता ही होते हैं जो कभी भी वो नहीं करते जो कहते हैं - और वो भी नहीं कहते जो करते हैं.. समझे ??.. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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