Saturday 30 June 2018

// भैंस का "कैरक्टर" ??.. और गँवार भक्तों का नज़रिया.. ..//


अक्सर संस्कारों और ईमानदारी का ढोल पीटने वाला एक चतुर गँवार शहर के पशु मेले गया और एक भैंस खरीद अपने गाँव लौट रहा था.. भैंस बहुत बूढ़ी ही लग रही थी - एक पाँव से थोड़ा लंगड़ा सी रही थी - एक सींग भी टूटा था - और एक आँख भयानक जख्मी हालत में दिख रही थी.. पर गँवार उसकी रस्सी पकड़ आगे-आगे बड़े ऐंठ के इतरा के फक्र और ख़ुशी के साथ अपनी छाती फुला चल रहा था..

गाँववालों ने पूछ लिया.. ये क्या है ?? .. भैंस है दिखती नहीं - पूरे एक लाख में खरीद के लाया हूँ .. .. अच्छा !! दूध कितना देती है ?? .. दूध नहीं देती .. .. गाभिन है ?? .. नहीं अब तो इसकी उम्र निकल गई .. .. अरे भाई बूढ़ी ये है लंगड़ी ये है कानी भी दिखे दूध भी ना देवे - फिर क्या खासियत जो १ लाख में खरीद लाए ??..

और गँवार ने बड़े ऐंठ इतरा के जवाब दिया.. इसका "कैरक्टर" बहुत अच्छा है !!..

और मुझे ये पुराना चुटकुला इसलिए याद हो आया कि आज मोदी की तमाम असफलताओं और कमियों के बावजूद भक्तों को मोदी ही पसंद आते हैं.. वो भी शायद ऐंठ इतरा ये कहकर कि - मोदी का "कैरक्टर" बहुत अच्छा है..

और मैं सोचता रह जाता हूँ कि बाकी सारी बातों और तथ्यों के अलावा क्या "कैरक्टर" भी अच्छा है ??..

और अंत में स्पष्ट कर दूँ कि इस सारगर्भित व्यंग्य लेख के मुख्य किरदार ना तो भैंस है और ना मोदी - बल्कि इसके मुख्य किरदार गँवार और भक्त हैं.. इसलिए ये लेख गँवार भक्तों को समर्पित !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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