Saturday 29 September 2018

// भैंस पानी में गई .. या .. गधे धूल में लोटमलाट हो लिए ??.. ..//


कुछ बड़ा हुआ है बताऊंगा नहीं : राजनाथ !!..
(सीमा पार किसी बड़ी कार्यवाही की ओर इशारा !!..)

वाह क्या बात है - देर आयद दुरुस्त आयद ??..

मैं भी यही कहता आया हूँ कि दिन रात २४x७ बकर चकर से पूरा देश चकरभिन्नी हुए जा रहा था.. जब देखो पाकिस्तान का नाम हर जगह घुसेड़ देना.. और जब चाहे तब कुछ तो भी बकवास पटक देना.. कभी धमकी देते रहना तो कभी कपड़े फाड़ते रहना !!..

और ये सब कूटनीति और विदेशनीति या अंतर्राष्ट्रीय मामलों के मद्देनज़र निहायत बेवकूफाना बचकाना रवैय्या ही लगता रहा था !!..

और तो और अपनी सेना से जुड़े कई यशस्वियों तक को ये बतियाने और बोलने की बीमारी सी लगी हुई है.. जो जब देखो तब कुछ ना कुछ बोलने के या तो शौक़ीन हो गए हैं या किसी के निर्देशों या इशारों या इच्छा के लिए अपना मुंह खोलते रहते हैं.. जो सेना के लिए कदापि उपयुक्त और देशहित में नहीं माना जा सकता !!..

पर मोदी सरकार के अस्तित्व में आने के ५२ माह के दौरान और अस्तित्व में नहीं रहने के केवल ८ माह के रहते मेरे धोतीपकड़ ने कुछ ऐसा किया प्रतीत होता है जिसे "अक्लमंदी" कहा जा सकता है..

पर अफ़सोस !!.. शायद आदत से मजबूर पेट में बात २-३ रोज़ से ज्यादा पचा नहीं सके और फिर अपनी औकात बता दी.. और कल ही कह दिया.. २-३ रोज़ पहले कुछ हुआ है - और ठीक ठाक हुआ है - पर मैं बताऊंगा नहीं क्योंकि ऐसी बातें बताई नहीं जातीं !!..

और इस प्रकार देश के गृहमंत्री ने एक बार फिर कुछ वो बोल दिया उगल दिया या बता ही दिया जो ना तो बताना अनिवार्य था - और कुल मिलाकर जो बताना ही नहीं बनता था..

यहां तक कि.. यदि नौबत यहां तक आन पड़ी थी कि देश का ध्यान राफेल या बढ़ते पेट्रोल डीजल के भावों से भी भटकाना आवश्यक हो चला था - तो भी ऐसी भोंडी बात बोलना भी कहाँ की समझदारी मानी जा सकती है जिस पर बाद में इसी बात के बवाल पर से ध्यान हटाने के लिए एक और अन्य खुराफाती बात उगलनी पड़े या कुछ और शिगूफा छोड़ना पड़े ??..

और ऐसी ही परिस्थिति के समय मुहावरा उपयोग में आता है कि.. "गई भैंस पानी में"..
पर मैं आज इस विशेष परिस्थिति के लिए जुमलेबाजों के लिए एक नया जुमला गढ़ता हूँ जो शायद ज्यादा प्रासंगिक होगा..
"लोटमलाट हुआ गधा धूल में"..

और अंत में इसी प्रसंगवश कुछ समझाइश भी..

गृहमंत्री जी !!.. खबरदार जो अब इस मामले में कुछ और बताया.. क्योंकि कुछ बातें बताने वाली होती ही नहीं हैं.. समझे ??..
प्रधानमंत्री जी !!.. ये जो गृहमंत्री रक्षामंत्री और वित्तमंत्री होते हैं ना.. इनमें अक्कल गंभीरता गहराई परिपक्वता की आवश्यकता होती है.. इसलिए इन्हें बदल डालो तो बेहतर होगा.. ठीक ??..

और मित्रों !!.. प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जिसमें केवल फेंकने या चुनाव जीतने जिताने की ही औकात ना हो.. बल्कि कुछ अच्छे उपयोगी काम करने करवाने की क़ाबलियत भी हो.. इसलिए इन्हें भी बदल डालना आवश्यक है.. नितांत आवश्यक.. है ना ??..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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