Tuesday 4 September 2018

// अब बैठे-ठाले "दलित" नाम पर ऊँगली ??.. तो क्या "मनुरोधी" ठीक रहेगा ??.. ..//


केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मीडिया को 'दलित' शब्द का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश या सलाह दी गई है.. और आजकल इस सरकार का आदेश या सलाह तो छोड़िए - छोटा सा इशारा भी यथार्थ धमकी जैसा ही होता है.. और मीडिया के लिए तो पत्थर पर लकीर जैसा..

अब बैठे-ठाले ऐसी सलाह दिमाग के किस कीड़े के कहाँ काटने से उत्पन्न हुई होगी - सलाह देने वाले और हम जैसे कुछ ताड़ू ही बेहतर जानें..

पर मैं सोच रहा था कि यदि दलितों को अब "दलित" नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे ??.. क्या "दलित" का कोई पर्यायवाची शब्द विध्यमान है.. या फिर नया नामकरण होगा ??..

नामकरण में उस्ताद और काम में शून्य कामदार की सरकार मुझे लगता है बिना किसी अन्य काम के नया नामकरण ही करने में सक्षम और तत्पर होगी..
तो फिर नया नाम क्या होगा ??..
अब इस सरकार की अक्कल-शक्कल रूचि और औकात को देखते हुए मुझे लगता है कि "दीन-अधीन या दीनाधीन" अच्छा रहेगा.. क्योंकि हो सकता है इससे एक और नामकरण 'दीनदयाल' के नामे मान लिया जाए और अटल अस्थियों के विसर्जन उपरांत फुर्सती हो रहे भक्तों को आह्लादित होने का एक और सुअवसर प्राप्त हो जाए..
और वैसे भी दलित बेचारे अब तक समाज में दीन अधीन ही तो रहे हैं..

पर फिर सोचता हूँ कि बेचारे जो दलित अब तक शोषित वंचित या दीन अधीन रहे उन्हें अब जब हज़ारों सालों बाद नए नाम का योग-संयोग प्राप्त होने जा रहा हो - तो फिर उन्हें ऐसे ही एक और बेचारगी वाले नाम से क्यों नवाज़ा जाए ??.. और क्यों ना ऐसा नाम दिया जाए जिससे उनका सम्मान और विश्वास बढ़े !!..

और इसलिए मेरा सुझाव है कि यदि दलित नाम प्रतिबंधित किया जाता है तो नया नाम होना चाहिए..
"मनुरोधी" !!..
क्योंकि शायद आजकल इस घृणित सरकार से पीड़ित बेचारे दलित - मनुस्मृति का विरोध करने पर मजबूर भी हैं और आंदोलित भी.. और शायद मनुवादी सरकार के लिए २०१९ में निश्चित हार का एक सबसे बड़ा घातक कारण होने जा रहे हैं..

तो हो जाए.. "मनुरोधी" जिंदाबाद !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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