तेरा मोईजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को डरे ..
नैया तेरी मोई हवाले
लहरलहर मोई आप सम्हाले
मोई आप ही उठायें तेरा भार
उदासी मन काहे को करे..
काबू में मँझधार उसी के
हाथों में पतवार उसी के
तेरी जीत भी तो होती तेरी हार
उदासी मन काहे को करे..
सहज रोजगार मिल जाएगा
१५ लाख भी मिल जाएगा
डोरी सौंप दी थी ना इक बार
उदासी मन काहे को करे..
तू तो 'भक्त' तुझे क्या डर है
पग पग पर मोई ईश्वर है
तू तो मन से करता रह पुकार
उदासी मन काहे को करे..
सन २२ तो आने दे इक बार..
उदासी मन काहे को डरे..
काहे को डरे रे.. काहे को डरे..
बोलो मोई-शाह की जय !!..
(जलोटा स्मरण में - हरी ॐ जी की शरण में.. ब्रह्म प्रकाश दुआ.. २०-०९-१८)
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