Friday 14 September 2018

// अब जाकर "अच्छे दिन" आने वाले हैं.. क्योंकि अफलातून प्रधानसेवक जाने वाले हैं..//


मोदी मंत्रिमंडल का कोई भी मंत्री अपनी बात नहीं करता.. और जब देखो तब दूसरे की फटी में टांग अड़ा रहा होता है या दूसरे की फटी में थेगड़ा लगा रहा होता है..  

पेट्रोलियम पर कानून मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस करते है, वित्त पर कपड़ा मंत्री, विदेश पर रक्षा मंत्री और रक्षा मामलों पर वित्त मंत्री.. और छुट्टे विषयों पर जब कभी चौराहे पर छुट्टे पकड़े जाते हैं तो गृहमंत्री बयानबाज़ी कर लेते हैं - जो खुद कानून व्यवस्था की दुर्गति पर बोलने से ऐसे कतराते हैं जैसे आडवाणी अपनी दुर्गति पर बोलने से..
और यदि मामला भाजपाइयों या संघियों की कारगुजारियों का या अपने वालों के भ्रष्टाचार का हो तो फिर तो सब ऐसे मौन हो जाते हैं जैसे बड़बोले प्रधानमंत्री.. जो चुप रहकर भी बेशर्म और शर्मीले होने का भेद समझा जाते हैं..   

और प्रधानमंत्री तो कोई प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं करते..
वो तो केवल अपने ज्ञान और अपनी औकात अनुसार एकतरफा अपने मन की बातें करते हैं.. कभी शौच की तो कभी पकोड़ों और नाला गैस की.. या फिर मंगलयान की और सीधे अंतरिक्ष में छोड़ने की.. 

और तो और इनके घटिया प्रवक्ता भी आजकल प्रश्नों के जवाब नहीं दे पाते.. और संघ वाला कहता है मैं भाजपा का प्रवक्ता नहीं और भाजपा वाला कहता है मैं संघ की क्या जानूं.. और चिल्लाने वाले १-२ सरकारी प्रवक्ता तो एंकर की मदद से टीवी पर आकर इतना चिल्लाते और चिल्ल्वाते हैं कि कोई बात ही न हो पाए - जबकि बात करने वाले सरकारी प्रवक्ता आजकल टीवी पर आना ही बंद हो गए हैं.. इसलिए मंत्री ही आते हैं और जिनसे अपनी धुलती नहीं दूसरों की खुजाते रह जाते हैं..

और ये सभी प्रवक्ता प्रश्नों के जवाब में प्रश्न और प्रतिप्रश्न और पुराने प्रश्न और उत्तरित प्रश्न और फ़ोकट प्रश्न और बकवास प्रश्न आदि तो दाग-दूग लेते हैं - पर इनसे पूछे गए प्रश्नों का जवाब नहीं देते.. क्योंकि इनके पास भी राम जी की कृपा से प्रश्न तो बहुतेरे हैं - पर ये सभी आसाराम और राम रहीम और रामपाल और रामदेव की सोहबत के कारण जवाब देने लायक ही नहीं बचे हैं..

और सबसे मजे की बात तो ये है कि इनमें से कोई भी अब "अच्छे दिनों" की बात नहीं करता.. मानों जैसे अब बिना किसी शक-शुबा की संभावनाओं के भक्तों के दिमाग में ठोस ठूस देना चाहते हों कि.. मित्रों !! ना तो अच्छे दिन आने थे ना आए और ना आएँगे !!.. इसलिए अब इस जुमले पर आगे से कोई शिगूफा भी नहीं छेड़े..

जबकि अब अटल बात तो यह बन पड़ी है कि कुछ अच्छे दिन वापस आने की उम्मीदें अब ही जाकर बनी हैं .. क्योंकि अनुत्तरित असंयमित असहज अफलातूनी प्रधानसेवक सेवा से मुक्त होने वाले हैं.. और बुरे दिन जाने वाले हैं..

यानि यदि आपका भक्तों की बेवकूफाना बकवास सुनसुन कर मन भर गया हो तो अब मार्के की एक ही बात भी जान लें..

अब जाकर "अच्छे दिन" आने वाले हैं..
क्योंकि अफलातून प्रधानसेवक जाने वाले हैं..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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