Saturday 8 September 2018

// तो भक्तों बताओ - "नीच" किसको बोला जाए ??.. बहुत जोर से इच्छा हो रही है.. //


तेल के भाव रिकॉर्ड ऊंचे..
और रुपैय्या धड़ाम नीचे..
और मोदी और मोदी सरकार हर मोर्चे पर निर्लज्ज हो नाकाम..
और २०१३-१४ के ढेर सारे वीडियो आज टीवी और सोशल मीडिया पर बार-बार दिखाए जा रहे हैं.. जिनमें तब के डायलॉग और गालियों और बयानों को बार-बार दिखाया जाकर मेरी यादों को ताज़ा किया जाकर मुझे झंझोड़ा जा रहा है और गुस्सा दिलाया जा रहा है.. और विशेषकर तब के पीछे से लम्बे बाल वाले मोदी के एक-एक शब्द मेरे संवेदनशील दिल दिमाग को बाण जैसे चुभ रहे हैं..

तो भक्तो तुम्हे तुम्हारे साहब की कसम - दिल से बताओ कि..
अब सरकार को तो "नीच" कह अपना मन हलका कर लूँ ना ??..

ऐसा मैं इसलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि जनता को पेट्रोल डीज़ल और रसोई गैस के भावों से और महंगाई से और देश में फैलाए झगड़े टंटों से और देश की हर स्तर पर गिरती साख और दयनीय हो रही स्थिति से बहुत कष्ट हो रहा है.. और मैं बहुत ही परेशान हूँ - दुखी हूँ - खिन्न हूँ - संतप्त हूँ - चिंतित हूँ - गुस्से में हूँ..

और सरकार आज भी दलित-सवर्णों के मुद्दे पर कोई बीच का रास्ता निकालने में - या फिर राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा पर कपड़े फाड़ने - या राम मंदिर के निर्माण पर बयान दे देकर लोगों को भड़काने - या फिर कांग्रेस और विरोधियों और आमजन तक को भी गालियां देने - या फिर मोदी का झूठा घटिया प्रचार करने कराने और चुनावी रणनीतियां बनाने में - या फिर कुछ ना मिले तो हिन्दू-मुसलमान करने में ही व्यस्त है..

और कभी कभार बीच-बीच में मौका ताड़ शौचालय जनधन उज्जवला या मुद्रा लोन आदि पर अपने गंदे हाथों से अपनी जख्मी गंदी मैली पीठ ठोंक लेती है.. और हाँ वो 'नीम कोटेड यूरिया' और सर्जिकल स्ट्राइक की विश्वस्तरीय धाँसू नायाब उपलब्धि पर भी.. और फिर लगे हाथ किसानों के लिए एमएसपी और जवानों के 'वन रैंक वन पेंशन' पर झूठ भी बोल लेती है..

पर मजाल है जो मूल मुद्दों पर भी कोई सार्थक बात कर ले ??.. या फिर व्यापम और राफेल पर ही सार्थक बोल सके.. ना !!.. बिलकुल नहीं !!..

और इसलिए मुझे लगता है कि सरकार "नीचता" पर तो उतर ही आई है..

पर भक्तों यदि तुमको लगता है कि पूरी सरकार दोषी नहीं है.. मसलम तुमको स्मृति ईरानी मासूम या गडकरी कर्मठ या राजनाथ अनभिज्ञ या जेटली बीमार या सुषमा फुर्सती या रविशंकर लाचार या निर्मला डरी हुई लगती हों - तो ठीक है.. मैं पूरी सरकार को "नीच" नहीं मानता..

पर यदि पूरी सरकार "नीच" नहीं तो फिर तो १८ घंटे काम करने वाले और सरकार के सभी सफलताओं असफलताओं के जवाबदार - और सरकार में एक और एकमात्र कर्ताधर्ता मोदी को "नीच" कह लूँ ??..

अब ये मत कह देना कि नहीं !!.. ना मोदी को न मोदी सरकार को "नीच" बोला जाए !!..
क्योंकि मुझे किसी ना किसी जवाबदार गुनहगार को "नीच" (जो असंसदीय शब्द भी नहीं है) बोलने की बहुत इच्छा हो रही है - क्योंकि मैं अपने सामने खुल्लमखुल्ला "नीचता" होते देख रहा हूँ..

तो भक्तों आज सारी बात तुम पर छोड़ता हूँ.. बता तो दो कि ये "नीच" कौन ?? और "नीच" किसको बोला जाए - मोदी को या मोदी सरकार को - या मोदी के सलाहकारों को - या मोदी के मित्रों को - या मोदी के भागीदारों को ??.. या फिर "नीच" के अलावा और कौन सा शब्द है जो "नीच" से बेहतर और उपयुक्त माना जाए.. मसलन "टुच्चा" चलेगा ??.. वइसे तो "टुच्चा" "नीच" से हल्का पड़ता है.. और मेरा मन कहता है कि जो मज़ा "नीच" बोलने में आएगा वो "टुच्चा" बोलने में नहीं आएगा.. पर ठीक है आपको जो सही लगे बता देना.. या तुम भी बोल लेना !!.. धन्यवाद !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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