तुम्हारी उम्र निकल गई पप्पू को लताड़ते हुए.. और वो भी सार्वजनिक रूप से..
क्या-क्या नहीं कहा.. पैदाइशी बेवकूफ, भ्रष्टाचारी बाप का बेटा, विलायती माँ का बच्चा, अय्याश वंश की औलाद, निकम्मा कमज़ोर जोकर फडतूस बेचारा नादान पगला कमज़ोर नाकाबिल आदि !!..
और सब कुछ जानते-बूझते भी फेंकने की आदत से मजबूर खुद को कहते रहे.. तुर्रमखां सर्वशक्तिमान बुद्धिमान हरफनमौला लाजवाब ताकतवर नायाब वयस्क छप्पन इंची पहलवान आदि-आदि !!..
पर ये क्या हुआ ????..
जवान हो रहे खानदानी पप्पू ने सरेआम सबके सामने बिना लाग लपेट तुम्हारे फूले गाल पर एक चांटा दे मारा - और चांटे की रसीद भी फाड़ सार्वजनिक कर दी !!..
और दर्द तो थोबड़े में ही होना था पर तुम्हारा तो पूरा शरीर झन्ना गया.. तुम्हारे तो अस्थि पंजर तक फड़फड़ा गए..
और तो और लगता है चांटे की चोट तुम्हारे तोमल तमल दिल तक पहुँच तुम्हें रुला गई !!..
ऐसा क्यूँ हुआ बे ????..
ऐसा इसलिए हुआ बे.. क्योंकि पप्पू के पास खोने को कुछ नहीं था और तुमने उसे चांटा मारने के लिए मजबूर कर अपना गाल आगे कर दिया.. और जब पप्पू से चांटा खा गए तो फड़क गए.. और अब चुपचाप तड़प-तड़प भड़क रहे हो !!..
इसलिए आइंदा के लिए एक समझाइश !!..
सार्वजनिक रूप से लड़ाई लड़ के यदि यश प्राप्त करना चाहते हो तो अपनी बराबरी वाले या बिना डरे अपने से ताकतवर को चुनौती दो या उसकी चुनौती स्वीकार करो..
मसलन बिना डरे केजरीवाल से चुनौती-चुनौती खेलो - और एक बार फिर केजरीवाल से अड़ो लड़ो भिड़ो.. और एक बार फिर उससे तबियत से पिटो..
और मेरा यकीन करना.. तब जाकर तुम्हारा हमेशा के लिए फड़फड़ाना बंद होगा और तुम्हें कुछ इज़्ज़त की शहादत नसीब होगी.. अन्यथा तो यूं ही अपनी बेइज़्ज़ती कराते-कराते निपट जाओगे..
समझे फोकटी तुर्रमखां बौराए भक्तों !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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