Friday 7 September 2018

// बदलाव तो अब आया है.. "विकल्प" के लिए विपक्ष नहीं संघ परेशान हो रहा है.. //


आरक्षण या एससी/एसटी एक्ट पर पहले तो दलितों को खूब तोका गया फिर ठिठोली करी फिर भड़काया फिर दलितों का थोड़ा सा पक्ष ले मारा.. बस फिर क्या था सवर्ण भड़क गए !!..

और अब मोदी को सूझ नहीं पड़ रही है कि क्या किया जाए.. क्योंकि अब तो बैठे-ठाले वो खुद चौतरफा घिर गए हैं.. एक तरफ खड्डा तो दूसरी तरफ कब्र - एक तरफ मित्र मंडली तो दूसरी तरफ हिन्दू पप्पू - एक तरफ शत्रुघन तो दूसरी तरफ शत्रुटन्न केजरी.. एक तरफ नाराज़ वोटर और चुनाव तो दूसरी तरफ मातृ संस्था संघ और प्रधानमंत्री का पद.. यानि जिधर देखो उधर उहापोह की विकट स्थितियां !!..

और क्योंकि अब नाराज़ वोटर दिन-ब-दिन और नाराज़ हुए जा रहे हैं - और चुनाव छाती से ऊपर सर पर आ रहे हैं - और संघ भी हालात भांप कर असहज होता दिख रहा है - तो प्रधानमंत्री का पद तो जाता ही दिख रहा है..

पर अब तक जो जहान सोच रहा था और कह रहा था - और जो भक्त उछाल रहे थे और जो मीडिया पर भुंकवाया जा रहा था - लगता है संघ के माथे भी वही मुद्दा आ चिपका पड़ा है कि - मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी का "विकल्प" क्या ??.. यानि सबसे बड़ा केवल एक शब्द का प्रश्न ही यही आन फंसा है कि.. विकल्प ?? विकल्प ?? विकल्प ??..

और अब मोदी का "विकल्प" ढूंढना भी तो आसान नहीं है क्योंकि जिस क्वालिटी के बचे-खुचे भक्त मोदी के हैं ना - वैसे तो संसार में किसी के नहीं हैं.. बोले तो राम के भी नहीं होंगे..

यानि मित्रों !!.. अब जाकर पेंच फंस गया है - और "विकल्प" पर ही फंस गया है !!..

बस थोड़ा बदलाव ये आया है कि अब "विकल्प" के लिए विपक्ष नहीं संघ स्वयं परेशान दिख रहा है !!..

और शायद इसलिए ही संभावित प्रत्याशियों ने भी मैदान में ताल ठोंकना शुरू कर दी है.. मसलन मोदी ने तो कांग्रेस मुक्त भारत का जुमला दिया था.. अब तो कोंग्रेसियों को नंगा करने की बात पर ताल ठोंकी जा रही है.. हाहाहाहा !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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