Thursday 20 September 2018

// बजाय ३ दिन बोलने के ३ मिनिट में बस इतना बोल देते.. अब मोदी हटाओ !!.. ..//


३ दिन अनवरत कहते-कहते मोहन भागवत ने क्या-क्या बेहतरीन कहा.. ..

कांग्रेस का आजादी के आंदोलन में रहा बड़ा योगदान..
कांग्रेस से जुड़े रहे कई नेताओं का चरित्र देता है प्रेरणा..
कांग्रेस विषयक, संघ, 'युक्त' पर जोर देता है 'मुक्त' पर नहीं..
आरक्षण जारी रहना चाहिए, आरक्षण वाले ही खात्मे पर करेंगे फैसला..
आरक्षण समस्या नहीं है. आरक्षण पर राजनीति समस्या है..
गौरक्षा के मामले पर कानून हाथ में लेना गलत है, गुनाह है..
जाति अव्यवस्था है, इसे भगाने का प्रयास करना चाहिए..
अत्याचार दूर करने के लिए बने एससी/एसटी कानून को ठीक से लागू करना चाहिए..
हर समलैंगिक व्यक्ति समाज का अंग है, उनकी व्यवस्था समाज को करनी चाहिए..
अपने समाज के जो अल्पसंख्यक बंधु बिखर गए हैं उन्हें जोड़ना है..
इस देश में मुसलमान नहीं रहेंगे, तो ये हिंदुत्व नहीं होगा, हम एक देश की संतान हैं..
'बंच ऑफ़ थॉट्स' में कहीं गई वो बातें परिस्थितिवश बोली गईं, वो शाश्वत नहीं..
धारा 370 और 35ए नहीं रहने चाहिए..
विविधता में एकता का विचार ही मूल बिंदु है और इसलिये अपनी-अपनी विविधता को बनाए रखें और दूसरे की विविधता को स्वीकार करें..
भाजपा या अन्य किसी संगठन पर संघ रिमोट कण्ट्रोल से नियंत्रण नहीं करता..
श्‍मशान क़ब्रिस्तान की बातें तब होती हैं जब सिर्फ़ सत्ता के लिए राजनीति होती है, जो नहीं होनी चाहिए.. जो राजनीति में हैं वे विचार करें.. .. ..

मेरी प्रतिक्रिया..

मुझे लगता है मोहन भागवत ने अपनी करनी के विरुद्ध अपनी कथनी से मुझे खुश कर दिया.. क्योंकि बस यही सब कुछ तो मैं और बुद्धिजीवी और इंसानियत के धनी देशवासी भी कहते आए हैं.. और लगभग इन्हीं शब्दों में या इन से भी कहीं बेहतर और विस्तृत शब्दों वाक्यों और पृष्ठों में अनवरत कहते आए हैं - लिखते भी आए हैं..

बस कमी रह गई तो शायद इतनी बड़ीवाली कि काश भागवत जी और संघ ने स्वयं ही इन सभी बातों का अनुसरण किया होता या करने का प्रयास किया होता या करवाया होता..

और इतना सब कुछ बेहतरीन कहने के बावजूद भी भागवत जी ने मजबूरी में जो नहीं कहा वो मैं जोड़ देता हूँ..
ये जो मोदी है ना इसने उपरोक्त एक भी बात का अभी तक लेशमात्र भी अनुसरण नहीं किया.. बल्कि सभी बातों का उलट ही किया है..

इसलिए यदि मोहन भगवत जी ३ दिन लगाकर इतना सबकुछ कहने के बजाय ३ मिनिट में केवल इतना ही कह देते कि.. ये मोदी को हटा डालो क्योंकि ये संघ की ताजा-ताजा बदली-बदली विचारधारा के विरुद्ध कार्य करता जा रहा है.. ये नाकारा है.. और इससे संघ पार्टी और देश को बहुत ज्यादा नुक्सान हो रहा है.. तो शायद बेहतरीन होता !!..

वैसे एक बात और..
मेरा आंकलन यही है कि मोहन भागवत जी ने मन मसोस दिमाग लगा दबी जुबान यही कहा है कि.. बस अब मोदी और नहीं !!..

और मुझे तो संघ इस बात को लेकर चिंतित और क्रियाशील भी दिख रहा है.. क्योंकि जैसा मैने पहले भी कहा था.. संघ ये समझ चुका है कि असफलता का पर्याय बन चुका ये फेंकू मोदी खुद तो डूबेगा ही भाजपा और संघ को भी ले डूबेगा..

और भागवत और मोदी में यही अंतर है.. भागवत में अक्ल और समझ भी है..
और संघ और भाजपा में भी अंतर ये है कि.. संघ के पास मोदी से बेहतर मोदी के अनेक विकल्प होंगे.. पर भाजपा के पास ढूंढें से भी कोई विकल्प नहीं है - शायद सिवाय अमित शाह के..

और इसलिए संघ को अनवरत ये कहते हुए कि वो किसी भी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं करता.. राजनीतिक हस्तक्षेप करना पड़ गया है..

और इसलिए भक्तों को समझाना चाहूंगा कि ये सब कुछ संघ का 'हस्तक्षेप' भी है और 'लत्ताक्षेप' भी - और लातों के भूतों को ये बात समझ आ जानी चाहिए..
और समझ वाले बिरले भक्तों को ये बात समझ पड़ चुकी है.. शर्तिया !!.. कोई शक ??..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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