Sunday 22 January 2017

// हे इंसान की औलादों - इंसान बनो - जानवर नहीं ....//


जल्लीकट्टू पर सब कुछ सुनता देखता पढता रहा - और महसूस करता रहा इंसान की इंसानियत नदारद होते हुए और जानवरियत हावी होते हुए .. .. और आज दिल दिमाग परेशान है - क्योंकि तमाम इंसानियत को ताक में रखकर जल्लीकट्टू आज फिर जश्न और विजयी भाव के साथ हर्षोल्लास या अट्टाहास से पुनः शुरू किया जाएगा - वो भी सरकारी राजनीतिक संरक्षण में .. ..

और मैं सोच रहा था कि अब जब इस परम्परागत खूनी वीभत्स खेल में कोई गौमाता का बाप यानि बेचारा सांड या कोई घटिया इंसान घायल होगा या मरेगा तो क्या होगा ??

इस बाबद मैं सबसे पहले तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि - हे ईश्वर !! सांड की शारीरिक रूप से रक्षा करना .. और हो सके तो इंसान की मानसिक रूप से रक्षा करना !! .. ..

और मैं यह भी प्रार्थना करूंगा कि सांड को नाहक परेशान करने वाले टुच्चे इंसान यदि घायल होते हैं या कायरगति को प्राप्त होते हैं तो मुझे दुखी ना होने की ताकत देना .. .. और हो सके तो इंसानियत की तासीर के खिलाफ खुश होने और पूरी बेशर्मी के साथ ख़ुशी का इज़हार करने की ताकत भी देना .. .. क्योंकि ऐसे वीभत्स प्रकरणों में तो मुझे फोकटिया इंसानियत भी रास नहीं आती .. .. 

तो आज जल्लीकट्टू के प्रारम्भ होने के मौके पर मेरी भी प्रारंभिक जली कटी सुन लो .. ..

हे इंसान की औलादों !! .. इंसान बनो - जानवर नहीं .. ..

और हे मोदी जी !! .. भाजपा पार्टी को कैशलेस करने का अध्यादेश अब तक क्यों नहीं ले आए ?? .. क्या आपका स्वयं का प्राथमिकता क्रम सांडो से भी गया बीता है ?? .. ..

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