Saturday 28 January 2017

// हास्यास्पद और दयनीय भी !! .. अब डकैत जेबकतरे का रोना रो रहा !! ....//


"लोकतंत्र में छोटी मोटी पार्टियां जेबकतरों के समान - वोटकटुआ" !! .. ..

वैसे तो मुझे ऐसे ही कुछ डायलॉग ठीक-ठाक लगे .. पर क्योंकि ये डायलॉग दिए हैं लोकतंत्र के डकैतों के गिरोह के खुद सरगना ने .. इसलिए एक किस्सा भी याद आ गया .. ..

एक चिरकुट था .. कुछ काबिल टुच्चे और एबले जुड़ते गए और वो बन गया डाकू .. और भाग्यवश कुछ सफलतम डकैतियों की बदौलत वो अपने को मानने भी लगा दुर्दांत ... और वो ख्यात भी हो गया 'चरखा डाकू' के नाम से .. ..

जनता और पुलिस भी अब उससे फ़ोकट में चमकने लगी थी .. पर एक दिन वो खुद थाने पहुंच गया .. और रोने धोने लगा .. "तीन माह से ज़ुल्म सह रहा हूँ" - पर अब तो हद्द हो गई - आज मेले में गया था तो वहां किसी जेबकतरे ने जेब काट ली - कैशलेस बना दिया - स्वर्णाभूषण घड़ी आदि भी छीन लिए .. रिपोर्ट दर्ज करो .. ..

और बस वहां मौजूद सभी लोग पिल पड़े चरखे पे .. दे मार ठोंक ठंडा कर दिया .. थानेदार भी कारण समझ गया - और उसे एक लात मार लॉकअप में ठूंस दिया .. ..

इसलिए चरखे को एक बार फिर मुफ्त सलाह - चतुर जेबकतरे से सावधान !! .. और जन-थाने में रोना धोना बंद करो .. क्या है कि इम्प्रैशन डाउन हुआ नहीं - पिटाई हुई नहीं .. समझे !!

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