Saturday 3 February 2018

// 'बीमारी' के बजाय 'सरकारी मार' उत्पीड़न से निजात हेतु बीमा ज्यादा जरूरी.. ..//


वो भी क्या-क्या सुपर डुपर फेंक रहा है कि..
सरकारी खर्चे पर शुरू की गई 'हेल्थ एश्योरेंस योजना' के तहत ४५ - ५० करोड़ लोगों को चिह्नित अस्पतालों में ५ लाख रूपए प्रतिवर्ष तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी..

और जब से मैंने ये सुना है मैं ईमान से यही सोच रहा हूँ कि..
ये अजीब किस्म का नेता अभी और कितनों को मरवाएगा ??..

और ये बीमा क्षेत्र में और कितने गुंताड़े लगाएगा कितनी एफडीआई की छूट देगा कितनी सरकारी कंपनियां बंद कराएगा और नई-नई बीमा कंपनियां खुलवाएगा और उनके खाते में कितने डलवाएगा कितना खाएगा कितना खिलवाएगा ??..

और मैं ऐसा इसलिए सोच रहा हूँ कि ये इस सरकार का चौथा साल है - और इसने अभी तक तो डराया लड़वाया भिड़वाया पिटवाया यानि हर तरह से मरवाया ही तो है !!.. और अब तक झूठ बोल-बोल कर बरगलाया ही तो है !!..

और मैं तो ये सोच रहा हूँ कि क्या कोई बीमा कम्पनी इस सरकार के शोषण दादागिरी गुंडागर्दी अराजकता साज़िश बेईमानी भ्रष्टाचार से होने वाली जान माल की हानि का भी बीमा करेगी ??..

मुझे लगता है कि आज गरीब का उत्पीड़न बीमारी के बजाय सरकारी मार से ज्यादा हो रहा है क्योंकि बीमारी का एक कारण सरकारी मार भी तो है - और इसलिए बीमा तो बीमारी के इलाज से पहले सरकारी मार के उत्पीड़न से निजात पाने का होना चाहिए !!..

यानि बीमारी के बजाय तो इस सरकार से निजात पहले मिलनी चाहिए..
क्योंकि यकीनन ये सरकार भी तो एक बीमारी ही है !!..
और भक्त वायरस - बोले तो कीटाणु !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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