Tuesday 27 February 2018

// इनको डूब मरने के लिए टब की आवश्यकता नहीं.. टॉयलेट सीट ही काफी है.. ..//


बहुत दिन हुए - पर कुछ ऐसा ना सुना कि कोई नकारा नेता निजी सुलभ शौचालय के टब में डूब कर मरा..

सिद्ध होता है कि.. या तो इन्हें राजनीति और धंधा और भ्रष्टाचार करते इतना समय ही नहीं मिल पाता कि पकौड़े खा गोबर कर टब में फुर्सत से नहा लें..
और या फिर बेचारे नंगों को रेनकोट पहन टब में उतरते अटपटा लगता होगा..

जो भी हो पर बात तो अखरने वाली ही है..

और इससे भी अखरने वाली बात तो ये भी है कि बहुत दिन हुए ऐसा भी नहीं सुना कि कोई ट्रक दारू पिए ड्राइवर के नियंत्रण में किसी नेताओं के जमावड़े में उचित परिणाम प्राप्त करते घुस गया हो..

और फिर सबसे अखरने वाली बात तो ये भी है कि देश में अब तक इतने दमखम वाले उच्च और उच्चतम अधिकारी हुए पर कभी ऐसा ना सुना कि किसी वीर अधिकारी ने देशहित या जनहित में किसी टुच्चे भ्रष्ट जनप्रतिनिधि का पुरज़ोर विरोध करते हुए एक चांटा रसीद कर देने की हिम्मत दिखाई हो..

यानि मुझे अखर तो केवल यही रहा है कि बहुत दिन हुए कुछ अच्छा ना सुना !!..

और ये हिन्दू-मुसलमान के अलावा इन्द्राणी सुनंदा हनीप्रीत पद्मावती और अब श्रीदेवी तथा पकौड़े गोबर जैसे ही विषयों पर व्यर्थ पकाऊ विमर्श सुन-सुन कर कान पक गए.. और फ़र्ज़ी डिग्री व्यापम सहारा डायरी जय शाह राफेल जज लोया और बैंक घोटालों जैसे वांछित विषयों पर तो उचित विचार विमर्श होते ही नहीं सुना !!..

और तो और इस देश की धड़कन और शान रवीश कुमार द्वारा उठाए गए यूनिवर्सिटी सीरीज के बाद नौकरी सीरीज में उठाए गए मुद्दों पर तो मैंने सपष्ट अनुभव किया कि इन सारे नेताओं को डूब मरने के लिए टब की आवश्यकता नहीं.. इनके लिए तो टॉयलेट सीट ही काफी है !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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