9730 पत्थरबाजों के खिलाफ मेहबूबा सरकार द्वारा 2008 से अब तक के केस वापस लिए जाने की घोषणा हो गई..
और हरदिन टर्र-टर्र टर्राने और राष्ट्रप्रेम के प्रमाणपत्र एवं अन्य प्रपत्र बांटने वाले घुघ्घू जैसे चुपचाप रहे.. कोई चिल्लाचोट चीख पुकार हाहाकार नहीं.. यहां तक कि कड़ी तो छोडो सामान्य निंदा तक नहीं..
कारण ??.. .. कारण मैं बताता हूँ..
यूपी में भी लिलिपुट द्वारा वर्षों पुराने लगभग 20000 केस वापस ले लिए गए.. जबकि ये केस कई गंभीर आपराधिक प्रवृत्ति वाले 'बाजों' के विरुद्ध दर्ज थे.. कोई केवल पत्थरबाजी करने वाले पत्थरबाजों के विरुद्ध नहीं..
और विडंबना की ऐसी की तैसी भी ऐसी कि - जो केस वापस लिए गए उनमें वो केस भी थे जो केस वापस लेने वालों पर दर्ज थे..
और इसलिए निश्चित ही साहेब और भक्तों के कैंप में सन्नाटा पसर गया..
और वैसे भी ये मौकापरस्त बाज पहले भी कब घिनौनी प्रकृति और प्रवृत्ति अनुरूप टुच्चई से बाज आए थे जो अब बाज आने थे और आगे बाज आएँगे !!..
पर अधिक गौरतलब एक ये बात भी रही कि पत्थर खाए सैनिकों के स्वयंभू प्रतिनिधि जी.डी बख्शी जैसे मूंछ वाले भी गोदी मीडिया की चैनलों पर दहाड़ते दिखे नहीं.. शायद बाजों के ही वशीभूत ??..
"पाकिस्तान मुर्दाबाद"..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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