Thursday 22 February 2018

// मोदी को चौराहे-चौराहे बैठा पकौड़े तलने का रोज़गार मुहैय्या करवा देना चाहिए.. ..//


अब कोई कितना भी मुकरने वाला भक्त हो या पलटी मारने वाला या ढीठ या अड़ियल.. पर वो यह तो कह ही नहीं सकता कि मोदी ने नहीं बोला था कि..

१. मैं चौकीदार हूँ..
२. मैं सेवक बन कर काम करूंगा..
३. ना खाऊंगा ना खाने दूंगा..
४. देश की तिजोरी पर किसी का पंजा नहीं पड़ने दूंगा..
५. केवल ५० दिन (नोटबंदी के बाद) दे दो.. कोई कमी निकल जाए तो जिस चौरहे पर कहोगे पहुँच कर देश जो सजा देगा वो स्वीकार करूंगा..

पर पीएनबी में घोटाला तो हो गया है और ये बात अब निर्विवादित है - क्योंकि हर पक्ष अब ये स्वीकार्य कर चुका है कि घोटाला हुआ है.. और घोटाले के मुख्य आरोपी देश छोड़ कर भाग चुके हैं.. और जनता के पैसे को चूना लगा है.. और जनता का पैसा वापस आएगा इसकी कोई गारंटी भी नहीं है - ना ही कोई संभावना दिखती है..
यानि मोदी के उपरोक्त कथनों के उलट क्रम में ये सपष्ट होता है कि..

५. वो ५० दिन कब के बीत गए और बहुत से लोग मोदी का अपने-अपने चौराहों पर इंतज़ार कर रहे हैं.. पर मोदी आ ही नहीं रहे हैं..
४. देश की तिजोरी पर तगड़ा पंजा पड़ गया है..
३. कई खा गए हैं और मोदी उसे खाने से रोक  नहीं पाए हैं..
२. मोदी के सेवक होने की बात निहायत हास्यास्पद एवं बकवास है क्योंकि मोदी हमारे (जनता के) पैसे से भारी भरकम वेतन और सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं.. और ऐसे राजसी ठाठ-बाठ से जी रहे हैं - जिसकी तुलना किसी भी सेवक से तो कदापि नहीं की जा सकती..
१. और देश का कथित चौकीदार अपने कार्य और निहित जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर सका.. बल्कि पुख्ता शक तो यही है कि चौकीदार भी चोरों से मिला हुआ है - अन्यथा तो इतनी व्यापक चोरी हो ही नहीं सकती थी..

अस्तु उपरोक्त तथ्यों और तार्किक विमर्श से यही निष्कर्ष निकलता है कि.. यदि मोदी में गैरत बची है तो उन्हें स्वयं ही इस्तीफ़ा दे देना चाहिए - या फिर यदि जनता में अक्ल और दम बचा हो तो मोदी को तत्काल इस्तीफ़ा देने के लिए बाध्य कर देना चाहिए..

या फिर कम से कम मोदी को चौराहे-चौराहे पर आने के लिए विवश कर देना चाहिए.. और वहां बैठा पकौड़े तलने का रोज़गार मुहैय्या करवा देना चाहिए..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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