Sunday 29 November 2015

// तो क्या 'पीओके' पाकिस्तान के पास ही रहने ना दिया जाए ?? ....//


हे भगवान ये क्या गज़ब हो रहा है .... दो दिन हो गए कोई तीखी और ओजस्वी प्रतिक्रिया नहीं ....

फारूक अब्दुल्ला ने इतने सारे बयान दे दिए -  जैसे कि .... पीओके पाकिस्तान में है और वह पाकिस्तान में ही रहेगा - जबकि जम्मू एवं कश्मीर भारत में है और वह भारत में रहेगा - ना भारत में इतनी ताकत है और ना पाकिस्तान में कि वो किसी से कुछ छीन ले - दोनों देशों के पास परमाणु शस्त्र हैं - युद्ध समस्या का हल नहीं है - युद्ध से केवल लोगों की जान जाती है  - बातचीत ही एक विकल्प है .... आदि !!!!

और इधर मादरे वतन के खालिस रखवाले विश्व हिन्दू परिषद आदि पाकिस्तान से क्रिकेट ना खेलने भर के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं .... और तो और आमिर खान के पीछे भी अभी तक कई डंडे फटकते बदहवास से दौड़ लगा रहे हैं .... और सलमान रुश्दी की किताब बैन पर भी चर्चा हो ही रही है - और साथ ही मक़बूल फ़िदा हुसैन पर भी ....

इससे मुझे कुछ शक होने लगा है .... कि कहीं गलती से फारूक अब्दुल्ला के बयान को सहिष्णुता से तो नहीं लिया जा रहा .... शायद इसलिए कि बयानों में कुछ तर्क हो या कुछ समझदारी .... या फिर वाकई देश में असहिष्णुता ख़त्म हो गई है .... या फिर खौलता खून ठंडा पड़ चला है ????

खैर वस्तुस्थिति जो भी हो मुझे लगता है कि जरूरी नहीं कि 'विचित्र किन्तु सत्य' शख्सियत हमेशा ही देश की 'ऐसी की तैसी' ही करे - कभी वो भी ऐसी बात कर ही सकता है जो सर्वहित में हो .... पर ऐसी सर्वहित की बात को सहिष्णुता से लेने के लिए भी कलेजा चाहिए होता है .... और शायद इसलिए मैं कह सकता हूँ - हम सुधर रहे हैं !!!!

और हाँ यह भी कहता हूँ कि यदि हो हिम्मत शौर्य क़ाबलियत और ताकत - तो फिर पीओके ले लो .... बिना लफ़्फ़ाज़ी !!

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