Sunday 1 November 2015

// मेरी लाठी मेरी गाय - तेरा साईं ठाँय ठाँय ?? ....//


अभी तक धर्म जाति और संप्रदाय को लेकर देश में कई बार मतभेद होते देखे थे ....
और कई बार देश के छोटे मोटे विषयों पर भी ....

पर जैसा नित बढ़ता गहराता विद्वेष मोदी सरकार के आने के बाद देखने में आया है वह तो भयावह है एवं चिंताजनक है .... क्योंकि 'मतभेद' अब 'मनभेद' में बदल रहा है - बदला जा रहा है .... 

अब तो हर विषय पर स्तरहीन बहस और तर्कहीन टेकों की भरमार लग गई है .... और हर कोई मेरी भैंस मेरी लाठी मेरा खूंटा मेरा दूध मेरा गोबर की तर्ज़ पर अपने ही अंदाज़ में अपने ही हित में अपनी ही समझ अनुसार बोल रहा है रो रहा है विलाप रहा है चिल्ला रहा है या दूसरों के मज़े ले रहा है या गदगदा रहा है या गर्रा रहा है ....

लेकिन लगता है कि अब हद पार हो चुकी है - वो इसलिए कि अब हिन्दू धर्म के ठेकेदार ने शिर्डी के साईंबाबा का खुल्लमखुल्ला अपमान कर दिया है .... जबकि साईं के भी इस देश में अनेक भक्त हैं जो उनमें ईश्वरीय श्रद्धा रखते हैं उन्हें पूजते हैं .... और ऐसे अधिकतर भक्त हिन्दू ही हैं ....

इसका तो ये मतलब हुआ कि यदि हमने माना है कि गाय हमारी माता है - तो वो माता है श्रद्धेय है पूज्य है .... पर यदि किसी और ने साईं को अपना श्रद्धापात्र माना है तो माना होगा - हमें सहन नहीं है ....

यानि मेरी लाठी मेरी गाय - तेरा साईं ठाँय ठाँय ?? ....

इसलिए मैं देशवासियों को आगाह करना चाहता हूँ कि जो लोग आज समाज को हिन्दू मुसलमान में बांटने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं वो कल फिर मुसलामानों को शिया सुन्नी में बांटेंगे और हिन्दुओं को सैंकड़ों देवी देवताओं के नाम पर या जाति के नाम पर बांटेंगे ....
ये रुकने वाले नहीं - इन्हें तो आपको ही रोकना होगा .... रोकना ही होगा !!!!

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