आज बहुत सी कहावतें उलझ सी रही हैं ....
जिस वृक्ष में फल लगते हैं वो झुकता है .... पर बिना फल लगे भी वृक्ष को झुकते देख रहा हूँ ....
झुकना बड़प्पन की निशानी है - पर झुकना मजबूरी की निशानी भी देख रहा हूँ ....
सजदे में झुकना ! वाह क्या बात है !! - पर कमर टूटने पर भी झुकते देख रहा हूँ ....
जी हाँ !! ऐसा इसलिए कि कल प्रधानमंत्री मोदी जी का संसद में अति सौम्य और बेहतरीन सम्बोधन सुना .... निश्चित ही अच्छा भी लगा .... और पहली बार कुछ झीनी सी आशा की किरण दिखी ....
पर विवेचना की अभी बहुत गुंजाइश है .... और वो इसलिए कि ....
बदले बदले से सरकार नज़र आते हैं ....
ना मालूम क्यों - कुछ परेशान नज़र आते हैं ....
Good pun keep it up!
ReplyDeleteThanks
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