Saturday 4 June 2016

// एक थे मंत्री एकनाथ ....//


एक थे मंत्री एकनाथ खड़से .. थे इसलिए कि वे अब मंत्री नहीं हैं .. अब नहीं हैं क्योंकि ज़मीन घोटाले में लिप्त पाए गए .. लिप्त इसलिए पाए गए कि घोटाले करने का शऊर ठीक से नहीं सीखे .. और धरा गए ....

और शायद मुरव्वत भी पाल बैठे थे - दाऊद को ना नहीं कह सके कि मुझे फोन मत किया कर ....

खैर एकनाथ खड़से तो गए - पर शायद भाजपा के कई मंत्रियों और नेताओं को सीख सबक दे गए होंगे कि - आवश्यक भ्रष्टाचार करो पर इतनी लापरवाही और बेवकूफी से नहीं कि कोई भी आसानी से धर ले .... और भले ही ऊटपटांग लोगों से संबंध रखना अत्यावश्यक ही क्यों ना हो पर उनसे फ़ोन पर बात मत करो ....

और एक-दो सीख सबक मेरी तरफ से भी ....

हर व्यक्ति को अपनी औकात में रहना चाहिए और इतनी ही फेंकना चाहिए जो निभ सके .. इसलिए यदि कोई अच्छा तैराक ये दावा करे कि - ना तो मैं डूबूँगा और ना ही किसी को भी डूबने दूंगा - तो समझ जाइएगा कि वो फेंकू है और वो जरूर आपको लेकर ही डूबेगा ....

बाकी आप समझदार हैं .. "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" कि विवेचना भी आप स्वयं ही कर सकते हैं .. है ना !!

और दूसरी सीख .. टुच्चे लोगों से फ़ोन पर बात ना करें .... मसलन यदि आपको ये मालूम ही है कि दाऊद करांची में है - तो इधर उधर आते जाते स्वयं करांची चले जाएँ - पर फोन पर बात ना करें ....

आशा है एकनाथ खड़से से सहानुभूति रखने वाले मेरी मुफ्त सीख सबक हेतु इस बार मुझे धन्यवाद जरूर देंगे .. प्रत्याशा में उन्हें भी सहानुभूति के साथ धन्यवाद !! .... इति एकनाथ !!

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