नीलगाय खेतों को नुकसान पहुंचा रही थीं .. मार डालो !! .... २५० नीलगाय ठाँय ठाँय ठाँय ढेर !! .... और वो बन गए शेर !! ....
खेतों से इतना लगाव ?? .. खेतों का इतना ध्यान ?? .. खेतों के प्रति इतनी संवेदनशीलता ???? ....
मेरी प्रतिक्रिया ....
टुच्चों !! ....
क्या कभी खलिहानों की भी सोची है ?? .. जिनमें कुछ सूअर अनवरत सेंध लगाते रहे हैं ?? ....
क्या कभी गोदामों की भी सोची है ?? .. जिन्हें कुछ कुत्ते वर्षों से कब्जाए बैठे हैं ?? ....
और क्या दुकानों की भी सोची है ?? .. जहां कुछ इंसान कई इंसानों को खेत की पैदावार बेच कर जैसे तैसे अपनी रोज़ी रोटी चला रहे हैं और उन्हें जीने के लिए आवश्यक चीज़ें मुहैय्या करवा रहे हैं ?? .. मसलन सूअरों से बची कुत्तों के मार्फ़त १५ रूपए प्रति किलो की दाल १५० रुपए में प्राप्त कर १६० रुपए में बेच रहे हैं ....
नहीं सोची ना ?? .... क्यों ?? .... मैं बताता हूँ क्यों ....
क्योंकि सूअरों और कुत्तों से टुच्चों का गठजोड़ पक्का है .... इसलिए ये सब मिलकर खलिहानों और गोदामों पर वर्चस्व बनाए हुए हैं ....
और इसलिए इस देश में बेचारी काली भूरी सफ़ेद नीली गायों या खेतों या किसानों या दुकानदारों या आमजन की किसको चिंता ?? .... मरते हैं तो मरने दो !! .... कोई मारता है तो मारने दो !! .... और कोई मरवाता है तो मरवाने दो !! ....
तुम तो बस ये बताओ कि ये मारने पर कितना खर्च आया ?? .. प्रति गाय १००० रुपए ?? .. बस ?? .... अरे नहीं सरकारी बिल तो कम से कम १०००० रुपए प्रति गाय का बनवाओ ....
आखिर मामला गाय और राष्ट्र और खेत और किसान से जुड़ा अति संवेदनशील जो है .... और ये सरकार गाय राष्ट्र खेत और किसान के प्रति ही तो संवेदनशील है .. कार्यरत है .. या कम से कम कार्यरत दिखनी चाहिए .. समझे लल्लू !! .. और भक्त तो सब समझ ही गए होंगे .. है ना !!
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