Saturday 18 June 2016

// काला मोदी !! .. पीला मोदी !! ..लाल मोदी !! ....//


कल एक भक्त मित्र मेरे साथ टीवी देख रहे थे .... "न्यूज़ वर्ल्ड इण्डिया" पर आर के आनंद की प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी .... जिसमें आर के आनंद ने सुभाष चंद्रा को बेनकाब करने का अपना प्रयास बखूबी पूर्ण कर लिया था .... उन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग भी दिखाई .. जिसमें एक भाजपा विधायक असीम गोयल पेन बदलते और फिर एक निर्दलीय जयप्रकाश पेन को पुनः रखते सीधे सीधे दिखे तो नहीं पर मेरे अभिमत में धरा ही गए थे .... सपष्ट था - नायाब धांधली हुई ....

और मैं सबकुछ देख थोड़ा विचलित सा हुआ और कहने लगा - ये क्या हालत हो गई है इस देश की व्यवस्थाओं और संस्थाओं की - शर्म आती है और गुस्सा भी कि कुछ टुच्चे तमाम उच्च संवेदनशील व्यवस्थाओं तक को ठेंगा बताते हुए एक राज्यसभा सांसद चुनाव को महज एक पेन बदलने के षड़यंत्र से संभव कर सके .... शर्मनाक !! ....

और विशेषकर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की साख के लिए घातक - और इज़्ज़त के लिए चिंतनीय विचारणीय - और अब चुनाव आयुक्त की कार्यकुशलता के लिए एक चुनौती ....

और बीए फेल की ज़ी हज़ूरी में माहिर ज़ी टीवी वाले देश के इकलौते दसवीं पास अपने नाम के आगे "डॉक्टर" लिखने वाले सुभाष चंद्रा को तो शर्म आएगी नहीं - कम से कम मोदी और भाजपा ही थोड़ी शर्म कर ले ....

इतने भारी भरकम साहित्यिक डायलॉग से भक्त मित्र थोड़े असहज हो चले और मजबूरी में टेका लगा बैठे .... बोले .. अब इसमें मोदी कहाँ से आ गए ?? .. भाजपा कहाँ से आ गई ?? .. और नियम तो नियम है - पेन बदला स्याही बदली तो बदली - वोट अवैध हो गए और आनंद हार गए .. अब रोते रहो चिल्लाते रहो .. उससे होना जाना क्या है ?? .... 

इस पर मुझे एक रोचक प्रतिक्रिया सूझी .... मैंने स्केच पेन के सेट्स में से ३ पेन निकाले - काला पीला और लाल .. और एक कागज़ पर तीनो पेन से क्रमशः लिख दिया .. मोदी !! मोदी !! मोदी !! .... और भक्त से बोला - पढ़ो इसको .... और भक्त ने पढ़ा - "मोदी मोदी मोदी" ....

और तब मैंने उसे टोका और कहा - अबे ये "मोदी मोदी मोदी" नहीं लिखा है रे - ये लिखा है .. "काला मोदी पीला मोदी लाल मोदी" .... क्योंकि आखिर पेन की स्याही का भी तो महत्व है ना !! ....

और मेरा भक्त मित्र मुस्कुराता रहा .... समझ के भी कुछ समझा होगा या नहीं कह नहीं सकता ....

पर आशा है आप जरूर समझ गए होंगे .... और मैं प्रसन्न हूँ कि मैंने पहली बार "रंगदारी" करी - वो भी सटीक सफल .... है ना !!

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