Friday 17 June 2016

// उस एक राजनीतिक मस्तिष्क के 'शातिर' आइडिया का ही दुष्परिणाम ..//


गुलबर्ग केस में आज २४ करार दोषियों के खिलाफ अदालत का निर्णय आ गया है .... ११ को उम्रकैद - १२ को ७ साल - और १ को १० साल ....

और कुछ अजीब से भावों के उमड़ते मैं आज रुआंसा हो सोच रहा हूँ ....

गुलबर्ग केस - यानि २००२ गुजरात नरसंहार - यानि गोधरा हत्याकांड - यानि बाबरी मस्जिद विध्वंस - यानि .... .... .... यानि शायद कभी किसी एक मस्तिष्क में ये 'शातिर' राजनीतिक आइडिया आया ही होगा कि राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद के मुद्दे को रजनीतिक रूप से भुनाया जा सकता है .... और बस बहुत कुछ घटित हो गया - होता गया - होता ही गया .. और होता ही जा रहा है ....

और सबकुछ इतना भयावह - शर्मनाक - अफसोसजनक - नुकसानदेह - पीड़ादायक कि आज भी मैं यही कल्पना कर रहा हूँ कि ....

काश !! राम जन्मभूमि की मान्यता या आस्था या सत्यता कुछ मीटर इधर-उधर हो गई होती .... बस !!
काश !! बाबर आया ही ना होता - या बाबरी मस्जिद ही ना होती ....
या जब कोई मस्जिद हो ही गई थी तो वो गिराई ही ना जाती .... तो क्या होता ??

शायद आज राम मंदिर भी बना हुआ होता - गुजरात के दंगे ना हुए होते - कई ज़िंदगियाँ बच गई होतीं - कई परिवार संतप्त ना हुए होते .. हज़ारों लाखों करोड़ों लोग परेशान ना हुए होते - और ये देश आज के मुकाबले ज्यादा संपन्न और प्रसन्न होता ....

पर ऐसा हुआ नहीं .. क्यों ?? .. शायद उस एक मस्तिष्क में आए उस एक 'शातिर' राजनीतिक आइडिया के कारण .. वो आईडिया जो वस्तुतः कारगर हो गया - और बर्बाद भी कर गया .... है ना !!

और यह सब सोच मैं रुआंसा भी हूँ और चिंतित भी .... क्योंकि इस वक्त भी कुछ राजनीतिक पके पकाए वयस्क अनुभवी मस्तिष्क कुछ वैसे ही आइडियाज के साथ अनवरत काम कर रहे हैं .. मसलन वो दिन रात यही तो सोच रहे हैं कि वो कौन से आइडियाज या मुद्दे हैं जिन्हे "भुनाया" जा सकता है .... चुनावों में - स्वहित में - पार्टी हित में ....  

और यदि कोई सोच रहा है कि कोई राजनीतिक मस्तिष्क 'विकास' की बातें सोच रहा है जिसके अच्छे परिणाम २०१९-२०२२ तक देखने को मिल जाएंगे तो उसको उसकी सोच मुबारक !! और ईश्वर से प्रार्थना कि ....

काश !! उसकी ही सोच सही साबित हो .... ठीक वैसे ही जैसे मैं सोच रहा था कि ....
काश !! बाबर आया ही ना होता .... बस !!
काश !! .... .... .... बस काश !! ....

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