अब तक दिल्ली एवं अन्य राज्य की पुलिस की कई भयावह कारगुजारियां समक्ष में आती ही रही हैं .. और अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है .... और अब तो पुलिस से ही डर लगने लगा है .... और दिल्ली पुलिस से खौफ ....
कुछ दिन पूर्व केजरीवाल की ११ महीने विलम्बित राजनीति के विरुद्ध एफआईआर हो चुकी है ....
कल ही दिल्ली की अजब गजब पुलिस द्वारा एक 'आप' विधायक को भरी प्रेस कांफ्रेंस में से उठाकर बाद में उस पर धाराप्रवाह अविश्वसनीय और असंभव अपराध की धाराएं थोपते हुए उसे जेल में डाल दिया गया है ....
और अब मालुम पड़ा कि शायद मनीष सिसोदिया को भी उठा बंद करने की तैयारी / योजना / मंशा है ....
और पुलिस महकमे में अब - कब किस निर्दोष को पकड़ना और किस मुजरिम को छोड़ना - बस यही कला विज्ञान दक्षता और हिम्मत का पैमाना रह गया है .... जिसने ये मनमानी कर ली - वो "हिम्मतवाला" ....
और मुझे लगा कि वैसे तो मोदी भी हिम्मतवाले हैं .... काफी मनमानी जो कर लेते हैं ....
पर अब देखना होगा कि क्या मोदी सुब्रमण्यम स्वामी को फुफकारने की हिम्मत कर पाते हैं या नहीं ?? .... यदि फुंफकार पाए तो मानना पड़ेगा कि बन्दे में हिम्मत तो है ....
वैसे मैं थोड़ा कन्फ्यूज्ड हो ये भी सोच रहा था कि क्या हिम्मत की भी नई परिभाषा गढ़नी पड़ेगी ?? .. मसलन ....
क्या ये हिम्मत अच्छी चीज़ है या बुरी ?? ..
ये हिमाकत क्या बला है ?? ..
और ये हिकारत क्या बला है ?? ..
अभी बहुत कुछ सोचने का समय आ गया है .. आप भी सोचिये .. कि यदि कल आपको भी किसी ने हिकारत से देख लिया या ऐसी ही हिम्मत कर डाली या हिमाकत कर डाली .. तो आप क्या करेंगे ???? ....
क्या आप पुलिस में जाने की बेवकूफी करेंगे ?? .. या किन्ही अपराधियों से मदद की गुहार लगाएंगे ?? .. या नेताओं से संरक्षण की भीख मांगेंगे ?? .. या न्याय का दरवाज़ा खटकाने का अंतिम विकल्प चुनने की मजबूरी में फंस जाएंगे ?? ....
और सोचिये जो आपके लिए लड़ रहा है और अपने को खपा देने के लिए आमादा है - यदि वो भी हार गया तो कल आपको कौन बचाने आएगा ????
और सोचियेगा कि ये "पुलिस रिफॉर्म्स" क्या बला है ?? .. कौन करेगा ?? .. कब करेगा ?? .. करेगा भी कि नहीं ?? .. क्योंकि सबसे बड़ी बात है "हिम्मतवाले" करेंगे ही क्यों ?? .. उन्हें पागल कुत्ते ने थोड़े ही काटा है ....
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