गरीब को तो महंगाई के झटके दिन-ब-दिन महसूस हो चुके थे .... क्योंकि गरीबों के लिए उपलब्ध खाद्य पदार्थों की कीमत २ साल में लगातार बढ़ते बढ़ते २ गुना से भी अधिक हो चुकी थी .... पर हर तरह से हारा हुआ गरीब मन मसोसकर यही सोचने पर मजबूर था कि हाय करें भी तो क्या करें ???? ....
पर आज सरकार और अमीरों ने हार मान ली - और शायद पहली बार ये मान लिया है कि महंगाई बढ़ गई है .... और शायद इसलिए आज एक बैठक भी कर मारी - जिसे "आपात बैठक" करार दिया जा रहा है .. जी हाँ सरकार के २ साल पूरा होने के जश्न के तत्काल बाद "आपात बैठक" ....
और बड़ी ही जवाबदारी और उदारता का परिचय देने की कोशिश करते हुए शायद घोषणा कर दी है कि जो दाल अभी १८० रुपये किलो बिक रही है उसे अब सरकारी माध्यम से जनता पर एहसान कर १२० रुपए में बेचा जाएगा ....
स्पष्ट है कि बेशर्मों ने ये बात खुल कर नहीं बताई है कि ये वही दाल है जो मई २०१४ में ७०-८० रुपए किलो के भाव ही बिकती थी - जिस पर भी ये भाजपाई 'मौनमोहनसिंह' का उपहास करते और उनकी निंदा करते थकते नहीं थे ....
यानि सुस्पष्ट है कि कोई न कोई तो १२० रूपए में भी "खाएगा" - और जम के खाएगा - और रोता भूखा गरीब तो तब भी रोता भूखा ही रह जाएगा ....
उपरोक्त तथ्य से ये भी स्थापित होता है कि मोदी सरकार के पक्ष में आज भी टेके लगाते भक्त और लोग निहायत खुदगर्ज़ गैरजिम्मेदार संवेदनहीन और बेवकूफ हैं ....
और सरकार में केवल एक मोदी ही हैं जो जनता के पक्ष में जनता को सही सुझाव दे रहे हैं - कि यदि काम पसंद ना आए तो लात मारकर निकाल दो ....
और मैं तो ईश्वर से यही प्रार्थना कर सकता हूँ कि - हे ईश्वर !! भूखे गरीब की लात को थोड़ी ताकत तो दो !!
// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //
No comments:
Post a Comment