Thursday 30 June 2016

// अरे यार अर्नब !! .. स्वामी को बोलना औकात में रहे ....//


पहले स्वामी बोले - बेलगाम बोले .. सब चुप रहे - इसलिए स्वामी बोलते ही रहे ....

शानों ने ताड़ा कि - राजन तो बहाना है ये तो जेटली पर निशाना है ....
और ये बात मीडिया में चल पड़ी और विश्वसनीय हो गई ....
इसलिए जेटली भी तड़प गए - और बोल दिए - राजन अच्छे ....

बस फिर क्या था - स्वामी फिर बोलते हुए पिल पड़े जेटली पर .... जिसे शानों ने संज्ञा दी 'स्वामी का पलटवार' ....

बात गम्भीर कम चिंतनीय ज्यादा हो गई - स्वामी के मज़ाक भाजपाइयों और भक्तों के लिए चिढानेवाले और चिंतनीय हो उठे .... जख्म उभरने लगे .... टाई में वो वाकई वेटर ही लगने लगे ....चीन से भी ज्यादा चीं चौं सुनाई पड़ने लगी .... .... 

और एकाएक शानों को सही सही ज्ञान भी होने लगा कि स्वामी का निशाना कहीं मोदी तो नहीं ??

बात जोर पकड़ने लगी .... और इस बीच ही मोदियाबिंद का मोदी से इंटरव्यू का संयोग आ गया ....
और प्रायोजित प्रथम प्रश्न में ही मोदी जी ने स्वामी के प्रति कुछ संयमित और संकुचित होते हुए तल्ख़ मानी जा सकने वाली हिदायती टिप्पणियां कर दीं ....

और मच गई धूम .. मोदी ने स्वामी को अपनी औकात में रहने की हिदायत दे दी है ....

और कुछ घंटे सन्नाटे के निकले - फिर भक्तों की साँसे चली .... और स्वामी फिर कुछ बोल उठे .... परन्तु इस बार तमाम निशाने साधते हुए अंत में ये बोल दिए कि "मैं मोदी के साथ हूँ" .... और भक्तों की साँसे चल रही हैं ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

मुझे याद हो आया शत्रुघ्न सिन्हा का स्टाइल जिन्होंने मोदी जी को 'डेयरिंग-डायनामिक-डैशिंग' बोल बोल कर कम्बल में लपेट लपेट जो लू उधेड़ी है बस उसी तर्ज़ में मुझे स्वामी भी दिखे .... यानि मोदी की सीधे बुराई ना करो और मज़े पूरे लेते रहो .... ठीक वैसे ही जैसे मोदी स्वयं भी तो प्रधानसेवक बनने के उपरान्त सिवाय चुनावी रैलियों के ऊटपटांग कहते नहीं और भक्तों को कहने से रोकते नहीं .... यानि हर तरफ एक थोबड़े के दो चेहरे .... 

और हाँ एक बात और - आज मुझे मोदी पर तरस भी बहुत आया क्योंकि कल तक जो दे ऊंची ऊंची बघारते थे जो बिन पूछे बताते थे कि वो और बराक तो दोस्त हैं - जब चाहा फोन उठा कर बात कर लेते हैं .. आज उसी मोदी से वही फ्री सरकारी फ़ोन उठा स्वामी से सीधे-सीधे बात तक करते नहीं बनी - और इसके बजाय उसे मोदिया के मोदियाबिंद अर्नब का सहारा लेना पड़ गया ....

इसलिए मैं आज इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि मोदी आज तक के सबसे निरीह कमजोर पंगु डरपोक प्रधानमंत्री हैं .... जो जरूरत से ज्यादा 'डेयरिंग-डायनामिक-डैशिंग' प्रतीत होने की लगातार असफल कोशिश करते रहते हैं .... पर ना केवल स्वामी से - वो जेटली ललित माल्या या योगी या साध्वी या वाड्रा तक से डरते हैं .... और केजरीवाल से तो बेहद खौफ खाते हैं - ना मालूम क्यों ?? .... छिः !!!!

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