कल शिक्षक दिवस है - आज ही मन गया - मना लिया गया .... देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे माननीय राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के बच्चों से किये संबोधन को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित कर .... बस मन गया !!!!
दोनों संबोधन बेहतरीन थे .... पर मुझे संबंधित "शिक्षक" नदारद दिखा .... जैसे कि बात हो मुछंदर की और मूछें नदारद !!!!
'शिक्षक दिवस' जैसे कि नाम ही निरूपित करता है - ये शिक्षकों को ही समर्पित होना चाहिए था .... इस दिवस पर उनका यथायोग्य मान सम्मान होना चाहिए था - शिक्षकों से संबंधित समस्याओं का निराकरण और घोषणाओं का दिन होना चाहिए था !!!!
पर ऐसा हुआ नहीं .... शिक्षकों का महत्व तो बताया गया .... और खुद राजनेता होते हुए भी छद्म शिक्षक बन कर बताया गया .... पर शिक्षकों के हित की बात और उनके 'मन की बात' नदारद रही ....
इसलिए प्रश्न उठते हैं कि मुद्दे की ये बातें अब कब होंगी ???? जैसे कि - शिक्षकों का वेतन कितना होना चाहिए ?? उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया क्या होनी चाहिए ?? उनकी नियुक्ति का प्रकार कैसा होना चाहिए जैसे कि नियमित या तदर्थ ?? शिक्षकों को छात्रों और छुटभैय्ये नेताओं और गुंडों और कभी कभार पुलिस से पिटने से कैसे बचाना चाहिए ?? शिक्षकों की दयनीय सामाजिक इज़्ज़त को कैसे तत्काल ठीक ठाक करने के उपरांत स्तरीय करा जाना चाहिए ?? .... आदि !!!!
इसलिए मैं आज भी व्यथित हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि शिक्षक दिवस पर राजनेता अपने को तो चमका गए - पर बड़ी शानपत के साथ शिक्षकों से उनका 'शिक्षक दिवस' ही छुड़ा भाग लिए ....
बेचारे शिक्षक !!!!
Masterjee .......vaise pata hai ..ek kahawat hai ..One he can does one he can't teaches ...
ReplyDeleteEk to Master upar se retired to karega kya gali dega din bhar modi ko ......Hain hain ....tauba tauba hain ..haainn ...