Wednesday 23 September 2015

//// मोदी संस्कृत का रोना रो रहे - और संस्कारों की वाट लगा दी ....////


और आज एक बार फिर हमारे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयरलैंड पहुंचते ही घोर आपत्तिजनक बयान दिया .... उनका स्वागत संस्कृत गान से हुआ था - शायद कुछ संपट ना बैठी होगी - और श्रीमान ने कह मारा कि यदि ऐसा भारत में होता तो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बवाल मच जाता ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

संस्कृत पर बवाल तो कभी ना हुआ है ना होता .... पर हाँ संस्कार पर बवाल जरूर हुआ है .... क्योंकि मोदी जी ने संस्कार रहित बात कही है ....

और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है .... मोदी जी पहले भी ऐसी हरकतें करते रहे हैं जिसकी घोर निंदा भी होती रही है .... इसलिए मैं आशा करता था कि मोदी जी अपनी आलोचनाओं से सीख लेंगे और इस महान देश के सुसंस्कारों के ठीक विपरीत अपने ही देश की विदेश में जग हँसाई कर अपने को तीसमारखां सिद्ध करने का फूहड़ प्रयास नहीं करेंगे .... पर बड़े खेद का विषय है - मोदी जी देश को नीचा दिखा कर ही अपने आप को महिमामंडित करने में लगे हैं .... और यह देश हित में नहीं है ....

पर अब किया ही क्या जा सकता है ?? .... सिवाय इसके कि प्रधानमंत्री ही बदला जाए ....

1 comment:

  1. अच्छा लगा आपका ब्लॉग. एक तो नित्य अपडेट होता ब्लॉग और उपर से वो भी हिंदी में : और भी अच्छा लगा. दुआ साब अभी लगता है आप सेंटर से थोडा लेफ्ट लिखते हैं.. थोडा सेंटर कर के लिखिए... और अच्छा बन पड़ेगा... जितना भी अच्छा क्यों न हो, मगर यहाँ आपका लेखन एकतरफा राजनितिक प्रतिबद्दता को पुष्ट करता दीख रहा है. मानवाधिकार की आड़ में अल्पसंख्यक के तुष्टिकरण का जो प्रयास शुरू से रहा है - उसी यज्य में दिल्ली में नई आहुति डाली जा रही है. देखिये - सोचिये और विचारिये : बात गलत लगी हो तो अग्रिम क्षमा प्रार्थना सहित, भवदीय : दीपक डुडेजा (ब्लॉग : दीपक बाबा की बक बक)

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