Sunday 13 September 2015

//// मिर्ची के बाद - शहद या कांटे ?? ....////


बिहार चुनाव के अब मज़े आने लगे हैं .... गतिविधियाँ बहुत तेज़ हो गई हैं - सीटों के बंटवारे संबंधित तमाम उलझनों झगड़ों टंटों दांव पेंचों के रहते भी हर मसला बड़ी आसानी से सुलझा लिया गया बता दिया गया है .... वो भी बड़े आराम से ....
और कुछ घोषणाएं भी हो गई हैं कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा .... कौन किसके लिए कितनी सीटें छोड़ेगा और कौन कितनी सीटें झटकेगा .... आदि .... और सभी कलाकारों और अंगूठा छाप नेताओं का गणित बनते बिगड़ते सबको इसका अच्छा अभ्यास हो गया दिखता है कि कितना जोड़ा जाए और कितना घटाया जाए कि जोड़ २४३ आ जाए .... बस !!!! 

यानि सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा था .... पूर्ण उठापटक के साथ !!!!

पर एकाएक MIM के असदउद्दीन ओवैसी ने कल घोषणा कर दी कि वो भी बिहार चुनाव में शिरकत करेंगें - कोई २०-२५ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे .....
बस फिर क्या था - कई लोगों को तो मिर्ची लग गई .... मिर्ची .... !!

पर क्योंकि मामला संवैधानिक सीमाओं के अंतर्गत बैठता था - तो कोई भी ज्यादा बकवास कर नहीं सका .... सीधी बात - हर किसी को लड़ने का अधिकार - इसलिए लड़ता है तो लड़ने दो .... और इसीलिए मैंने कहा - "मिर्ची लग गई" .... मिर्ची .... !!

पर जनाब आज तो एक और गजब हो गया .... अभी-अभी समाचार आ गया है कि - शिवसेना भी बिहार में ५० सीटों पर चुनाव लड़ सकती है ....
और यह बात भी  संवैधानिक सीमाओं के अंतर्गत ही बैठती है ....

इसलिए मैं सोच रहा था की जिनको ओवैसी की घोषणा से मिर्ची लगी होगी उनको कैसा एहसास हो रहा होगा ???? .... शहद लग रहा होगा ?? या कांटे लगने जैसा कुछ ????

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