एक थी मुर्गी .... बेचारी मुर्गी .... बेचारी इसलिए कि उसकी शादी बाज से हो गई ....
मुर्गा परेशान हलाकान .... नाराज़ .... हम मर गए थे क्या ??
संस्कारी मुर्गी ने ढांढस बंधाया .... नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी .... वो तो बस क्या था मम्मी पापा ने बहुत पहले से निर्णय कर लिया था कि लड़का "Air-force" में होना चाहिए ....
और बेचारी मुर्गी बाद में बहुत पछताई .... क्योंकि लड़का तो "हवाबाज" निकला ....
जो उड़ा तो बस उड़ ही रहा है .... ज़मीन पर फिर पाँव ही नहीं रखा .... सब हवा हो गया - हनीमून तक हवा हो गया .... और मुर्गी बेचारी मायूस सी तब से आकाश ही तक रही है .... अपनी किस्मत को रो रही है ....
और मुर्गा अब ताने मार रहा है - "Air-force" के नाम पर हवाबाजी का "हवाला" दे रहा है .... तो "हवाबाज" चिढ़ के मुर्गे को "हवालाबाज" कह रहा है ....
कुल मिला के मुर्गी बेचारी लाचार है - परेशान है - सोच रही है - ना तो "हवाबाज" और ना ही "हवालाबाज" अपनी हरकतों से बाज़ आ रहा है ....
"हवालाबाज" उड़ना नहीं जानता - और "हवाबाज" उड़ता ही रहता है ज़मीन पर नहीं आता ....
और मुर्गी के मम्मी पापा सोच रहे हैं - काश हमने "Air-force" के बजाय "IIT Pass Engineer" लड़के का उचित निर्णय किया होता ....
Nice one Brahma uncle ! (Manish Nath AAP)
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