Wednesday 16 September 2015

//// बिहारियों को सलाह - मोदी को 'मन की बात' करने दें और गौर से सुनें ..////


बिहार चुनाव की घोषणा हो चुकी है ....
मोदी जी के "मन की बात" पूर्व निर्धारित होना थी - "पूर्व निर्धारित मन की बात" होती भी आई है .... यानि सब कुछ "पूर्व निर्धारित" और मनमानी .... 

पर कुछ भाई लोग पहुँच गए 'चुनाव आयोग' - ठोंक दी अपील कि 'मन की बात' पर रोक लगे - क्यों ?? - क्योंकि मोदी मन की बात में हमेशा अपने मन की ही बात करते हैं जो बिहार चुनाव पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है ....

पर प्रबुद्ध आयोग ने भाई लोगों की अपील ठुकरा दी - ये कह कर कि - 'मन की बात' पर रोक नहीं लगाई जा सकती .... हाँ यदि मोदी आचार संहिता का उल्लंघन कर कुछ भी आपत्तिजनक बोलते हैं तो फिर चुनाव आयोग उसका संज्ञान ले उस पर कार्यवाही कर सकता है ....

मेरे 'मन की बात' ....

मुझे समझ में नहीं आता ४ रैलियों में इतना कुछ बेअसर कहने के बाद भी क्या मोदी जी को बिहार विषयक असरकारक बोलने के लिए कुछ भी शेष रह गया है ?? .... और सवा लाख करोड़ का पैकेज दान करने के बाद कुछ और हवाबाजी में देने के लिए शेष रह गया होगा ???? 

मेरे अभिमत में तो यदि अब से मोदी जी रोज़ाना अपने मन की बात करेंगे तो - और जितना ज्यादा करेंगे उतना ही - लोगों के मन में तथ्य समाते जाएंगे .... और दिल्ली जैसे परिणाम ही आएंगे - ०३/७० !!!!

अतः मैं चाहूँगा कि मोदी जी के आगामी "मन की बात" को अपीलकर्ता - चुनाव आयोग - विपक्ष - और देश की जनता गौर से सुने .... आखिर मोदी जी आज की तारीख में हमारे प्रधानमंत्री हैं भाई ....

और विशेषकर बिहार की जनता तो जरा ज्यादा ही गौर से सुनें - आखिरकार ये तो हो ही सकता है ना कि प्रधानमंत्री से बेदखल हो और गुजरात में "हार्दिक प्रतिरोध" के रहते मोदी बिहार के मुख्यमंत्री पद पर ही अपना दाँवा ठोंक दें ....
ऐसा इसलिए भी संभावित एवं व्यवहारिक लगता है क्योंकि कहीं देखा है ऐसा प्रधानमंत्री ऐसा राज्यस्तरीय निम्नस्तरीय प्रचार करते ????

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