Sunday 27 September 2015

//// झांकी तो जमा ही दी ....////


आज गणेश विसर्जन का दिन है - जब हमारे इंदौर में वर्षों पुरानी परम्परानुसार झांकियां निकलती हैं ....

झांकियां विभिन्न धार्मिक सामाजिक और सामयिक विषयों पर आधारित होती हैं .... जो पूरी साजसज्जा झमाझम जंकामंका उत्सवी ढोले ढमाके नाच गाने अखाड़ों के साथ शहर के मुख्य मार्गों से होते शानो-शौकत से निकलती हैं - और लाखों लोग रात भर पूरे हर्षोल्लास से इसका आनंद लेते हैं .... एक अनूठा आयोजन - एक अनूठा आनंददायी अनुभव .... 

और आज दैनिक भास्कर में छपे लेख अनुसार बताया गया है कि इस बार दो झांकिया "मेट्रो ट्रेन" और "स्मार्ट सिटी" विषयों पर सज्जित होंगी ....

तो कह सकते हैं कि मोदी सरकार ने "मेट्रो ट्रेन" और "स्मार्ट सिटी" के विषयक कोई ठोस कार्य किया हो या ना हो - "झांकी तो जमा ही दी" ....

और मालवा की प्रचलित लोकोक्ति   - "झांकी जमाने" का असली मतलब भी आज और अच्छे से समझ आ गया .... "झांकी तो जम गई" .... पर बस - झांकी - सब कुछ झांकी - केवल झांकी ....

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