महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना कोटे से परिवहन मंत्री दिवाकर राउते ने कहा है कि राज्य में 1 नवंबर से सिर्फ उन लोगों को ही ऑटो रिक्शा का परमिट मिलेगा जो मराठी बोलना जानते होंगे ....
शायद भक्त और भाजपा भी इस फरमान से भेरू हो रहे होंगे .... पर फरमान शिवसेना के नामे और माथे और अधिकार क्षेत्र में .... इसलिए निश्चित ही मजबूरी में "मोदी अस्त्र" और मोदी के प्रिय मित्रधन यानि शत्रुघन के जुमले का ही अनुसरण होगा .... यानि - "खामोश" ! "खामोश" !! "खामोश" !!!
पर मैं सोच रहा था कि ऐसे फ़ड़तूस फरमान के पीछे क्या फ़ड़तूस तर्क रुपी टेका तैयार होगा .... मेरी समझ और तर्क अनुसार तो टेका यही हो सकता है कि - सवारी और ऑटोचालक के बीच संवाद स्पष्ट और संशयरहित हो .... "no confusion" .... नहीं तो मालूम पड़े जाना था 'मीरा भयंदर' पहुँच गए 'पोरबंदर' ....
अस्तु मेरा महाराष्ट्र के बीमारू नेताओं को एक और सुझाव है .... महाराष्ट्र में एक और फरमान शीघ्र पारित करें .... // चिकित्सा करने का परमिट भी केवल उन्हीं चिकित्सकों को मिलेगा जो मराठी जानते होंगे // .... और इसके पीछे सटीक तर्क - क्या पता अस्पष्ट संवाद के कारण चिकित्सक दिमाग से बीमार नेता के घुटने छोड़ उसकी खुपड़िया खोल डाले .... और महाराष्ट्र की अपूरणीय क्षति हो जाए !!!!
chai bechkar hindi seekhi ja sakti hai to auto chalakar marathi kyon nahin ?
ReplyDeleteNice
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